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काल पिशाचिनी

भूपेंद्र सिंह 22 Jan 2024 कहानियाँ अन्य भूतिया कहानी डरावनी दिल दहला देने वाला किस्सा 4161 0 Hindi :: हिंदी

कहानी 
         काल पिशाचिनी 

     

शाम का वक्त है। कुछ कुछ सूरज अभी भी नज़र आ रहा है। एक जीप तेजी से जंगल के एक सुनसान कच्चे रास्ते से धूल उड़ाते हुए भागी चली जा रही है। जीप में दो लड़के बैठे हैं जो लड़का जीप चला रहा है उसका नाम अजीत है और जो उसके साथ उसकी बगल वाली सीट पर बैठा है उसका नाम मुकेश कुमार है जो की अजीत सिंह का जिगरी और दिल्लगी यार है।
अजीत सिंह - " यार मुझे तो अभी भी यकीन नहीं हो रहा है की जन्मदिन पर भी कोई इतनी जबरदस्त पार्टी करता है।"
मुकेश - " हां यार सुधीर के परिवार वालों ने जन्मदिन सच में ही बड़ी धूमधाम से मनाया है। घर कितना अच्छा सजा रखा था जैसे किसी की शादी हो।"
अजीत - " उसका पिता इतना बड़ा मशहूर बिजेनेसे मैन है अब अपने इकलौते लाडले बेटे के लिए इतना कुछ करना तो बनता ही है।"
मुकेश अपनी कलाई घड़ी में नजर दौड़ाते हुए " हम सुबह दस बजे गए थे और अब देख सात बजने वाले हैं। टाइम तो चुटकियों में ही स्पेंड हो गया कुछ पता ही नहीं चला।"
अजीत - " हूं। वाकई हमें बहुत देर हो गई है। मैने सोचा भी नहीं था की हमें इतना टाइम भी किसी के जन्मदिन में लग जायेगा।"
मुकेश - " मैं तो तुझसे कह रहा था की आज की रात उसके घर में ही रुक जाते हैं लेकिन तूने मेरी एक न सुनी। तुझे मालूम है ना की हमें जंगल के उस भूतिया हॉन्टेड टर्न से गुजरना पड़ेगा।"
अजीत - " अरे यार मुकेश तूं अब बकवास मत कर। मैं उस रास्ते से लाखों बार गुजर चुका हूं। मुझे तो कभी भी कुछ नहीं हुआ। तूं बेवजह ही डर रहा है।"
मुकेश - " अजीत यार तुझे अच्छी तरह से मालूम है ना की उस रास्ते के बारे में कैसी कैसी अफवाहें फैल रही हैं रात को तो बड़े बड़े सिकंदर भी वहां पर जाने से डरते हैं। मैं तो कहता हूं की अभी भी वक्त है वापिस चलते हैं सुधीर के घर में ही रात गुजार लेंगे और कल सुबह होते ही निकल पड़ेंगे।"
अजीत - " ओह हेलो ये सब बकवास मेरे सामने मत कर। मैं किसी काल पिशाचिनी से नहीं डरता। ये सब फालतू के टोटकें हैं। वो काल पिशाचीनी बस एक बार मेरे सामने आ जाए मैं उसकी गर्दन पकड़कर उसे जमीन में घुसा दूंगा।"
मुकेश - " कहना आसान है करना बहुत मुश्किल काम है। जब वो काल पिशाचिनी तेरे सामने आएगी ना तब तुझे पता चलेगा की डर क्या होता है? और क्या होती है काल पिशाचीनी। उसे देखकर तेरी पेंट पेशाब से गीली हो जायेगी।"
अजीत - " हां जैसे तेरी पेंट तो सुखी ही रह जायेगी । अरे वो काल पिशाचिनी सामने तो तब आयेगी ना जब वो सच में होगी। तूं ये फालतू के टोटके मेरे सामने मत आजमा मैं नहीं डरने वाला। काल पिशाचिनी सिर्फ कहानियों में होती है असल जिंदगी से उसका कोई ताल्लुक नहीं हैं।"
मुकेश - " यार तूं नहीं समझेगा। तुझे मालूम है नहीं है की रंजन बाबू के साथ उस काल पिशाचिनी ने क्या किया था?"
अजीत हैरानी से - " क्या किया था?"
मुकेश - " वो अमावस की काली रात थी। रंजन बाबू भी हमारी तरह लेट घर लौट रहे थे और जल्दी वापस अपने घर जाने की जिद कर रहे थे। वे अपना बाइक लेकर हमारी तरह इसी भूतिया रास्ते से गुजर रहे थे तभी उन्हें अचानक से सामने एक बच्ची नजर आई जो की सड़क पर खेल रही थी। रंजन बाबू हैरान रह गए की इतनी रात में एक लड़की भला इस सुनसान सड़क पर क्या कर रही है?"
अजीत - " तो क्या रंजन बाबू ने बाइक रोकी।"
मुकेश कुछ जोर से - " रंजन बाबू ने यही तो गलती कर दी ना उन्होंने उस लड़की के पास जाकर बाइक रोक दी। इस रास्ते पर कोई रुक नहीं सकता और जो भी इस रास्ते पर एक बार रुक गया समझो वो मर गया। रंजन बाबू ने उस लड़की को अपने साथ बैठने के लिए कहा। लेकिन उस लड़की ने साफ मना कर दिया और रंजन बाबू से कुछ खाने के लिए मांगा। रंजन बाबू ने अपनी जेब में हाथ डाला और चॉकलेट निकालकर उस लड़की की और बढ़ा दी।"
अजीत - " तो क्या लड़की ने चॉकलेट पकड़ी।"
मुकेश - " नहीं वो चॉकलेट नीचे गिर गई। जब रंजन बाबू उस चॉकलेट को उठाने के लिए नीचे झुके तो उसकी चीख निकल गई क्योंकि उस लड़की के दोनों पैर गायब थे यां फिर कटे हुए थे। और देखते ही देखते वो लड़की काल पिशाचिनि में बदल गई। रंजन बाबू तो बस एक पत्थर का पुतला बनकर रह गया। उसने जैसे तैसे डरते हुए बाइक चलाई और तेजी से वहां से निकल गया।"
अजीत - " फिर क्या हुआ?"
मुकेश - " अरे होना क्या था अचानक से रंजन बाबू के सामने एक आदमी आ गया जो की दोनों हाथ चौड़े करके उसे रोकने की कोशिश कर रहा था लेकिन रंजन बाबू ने सोच लिया था की वो हर हाल में बाइक नहीं रोकेगा क्योंकि अगर बाइक रूकी तो उसके दिल की धड़कने भी रुक जाएंगी। इसलिए रंजन बाबू ने बाइक की स्पीड और तेज कर दी लेकिन वो आदमी सामने से हटने का नाम ही नहीं ले रहा था। रंजन बाबू ने बाइक उसके ऊपर चढ़ा दी। बाइक एक और दूर जा गिरी और रंजन बाबू सड़क पर खून से लथपथ होकर गिर गया और वो आदमी बिल्कुल रंजन बाबू के सामने खून से भीगा हुआ गिरा पड़ा था। उस आदमी के शरीर में कोई हलचल नहीं हो रही थी शायद वो मर गया था। रंजन बाबू ने जैसे तैसे खुद को संभालते हुए उस आदमी का चेहरा देखा और उसकी चीख निकल गई उसका दिल इतनी तेजी से धड़कने लगा की मानों वो अभी फट जायेगा क्योंकि वो लाश खुद उसी की थी।"
ये सुनकर अजीत के चेहरे पर बारह बजने के बजाय मुस्कुराहट आ गई और वो जोर जोर से हंसने लगा।
अजीत हंसते हुए - " यार मुकेश तूं भी ना कहानियां तो अच्छी जोड़ लेता है। कोई आदमी एक ही वक्त में दो जगह कैसे हो सकता है। यार तूने क्या कॉमेडी सुनाई है मैं तो हंस हंसकर पागल हो गया।"
मुकेश - " मैं कोई मजाक नहीं कर रहा हूं ये बात पूरी तरह से सच है।"
अजीत - " अरे वो सिर्फ एक एक्सीडेंट था। रंजन बाबू ने बाइक पर से संतुलन खो दिया था और वो नीचे गिर गए जिसके कारण उनके सर में चोट लगी और उनकी डेथ हो गई। पुलिस ने भी तो यही बात कही है।"
मुकेश - " लेकिन ये सरासर झूठ है। रंजन बाबू को काल पिशाचीनी ने ही मारा है।"
अजीत - " अरे भाई तूं अब ज्यादा बकबास मत कर। वैसे भी तुझे कैसे मालूम की उसे काल पिशाचीनी ने ही मारा है।"
मुकेश - " अरे मेरे डैड भी तो उस दिन कार लेकर रंजन बाबू के पीछे पीछे चले आ रहे थे उन्होंने ये सारा नज़ारा अपनी आंखों से देखा था। मेरे डैड ने पुलिस को भी ये बात बताने की कोशिश की थी लेकिन पुलिस ने मेरे डैड की बात को तेरी तरह हल्के में ले लिया।"
इतने में अजीत ने जीप का गियर चेंज किया और अब जीप जंगल के उस रास्ते पर चल रही थी जिस रास्ते को मौत का रास्ता कहते हैं। जिस जगह रात को फरिसते भी आने से डरते हैं।
मुकेश - " यार मुझे तो बहुत डर लग रहा है कहीं वो काल पिशाचिनी अचानक से सामने आ गई तो और अगर हम मारे गए तो।"
अजीत - " यार मुकेश तूं बेवजह परेशान हो रहा है। देख तूने ही कहा था ना की जो रुक गया वो मर गया । मैं जीप को रोकूंगा ही नहीं तो फिर हमें कुछ होगा भी नहीं। वैसे भी वो काल पिशाचिनी का मैं काल हूं। अगर वो सामने आ भी गई ना तो उसे ऐसी मौत दूंगा की वो तमाम उम्र याद रखेगी। अच्छा वैसे ये काल पिशाचिनी दिखती कैसी होगी।"
मुकेश - " मैने तो लोगों से सुना है की उसके बड़े बड़े दांत होते हैं कटा फटा काला चेहरा होता है। बिलकुल सफेद आंखें होती हैं। बड़े बड़े नाखून होते हैं जिनमें मांस फसा हुआ होता है। उसके पैर कटे हुए होते हैं।"
अजीत हंसते हुए - " यार मेरा तो बढ़ा मन कर रहा है इस काल पिशाचिनी से मिलने का।"
मुकेश - " यार मुझे इतना डर लग रहा है। मेरा बदन थर थर कांप रहा है और तुझे इस वक्त मजाक सूझ रहा है।"
अजीत जोर से चिलाते हुए - " अबे ओ साली काल पिशाचीनी मैं तुझसे नहीं डरने वाला। तूं मेरे सामने तो आ। मैं तेरे टुकड़े टुकड़े कर डालूंगा।"
इतने में सामने टर्न पर अजीत को अचानक से एक काली परछाई खड़ी नजर आती है जिसके जबाड़े से खून टपक रहा था। अजीत ये देखकर बुरी तरह डर जाता है और जीप के ब्रेक लगाने लगता है लेकिन जीप के ब्रेक लगते ही नहीं है शायद वो फेल हो गए थे। जीप सीधे ही जाकर उस साए से टकरा गई और एक जोर के झटके के साथ जीप वहीं पर जाम होकर रह गई। अजीत सिंह का सर स्टीरिंग व्हील से जा टकराया और कचूमर निकल गया। लगभग दो घंटो के बाद में अजीत को होश आया उसे अपने सर में गर्माहट महसूस हो रही थी।।
To be continue......।
✍️ भूपेंद्र सिंह रामगढ़िया।।

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