Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

रूप भी चांदनी भी महकने लगी-मेरी संवेदना का रूप था

Sudha Chaudhary 27 Jul 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत 9313 0 Hindi :: हिंदी

तुम्हारे प्रेम में सब कुछ था
मेरी संवेदना का रूप था।
सानिध्य मिलता गया
अधीरता ने हृदय से लगाया
निकटता ने सारी कमी छीन ली
तुम्हारा प्रेम मुझ में इतना समाया।

अधर चुप थे कहने लगे
मृगनयनी मुझे कहने लगे।
स्पर्श का भी सहारा मिला
पुलकित मेरा मन सारा हुआ।
हंसी में तुम्हारे मैं संवरने लगे
अभिलाषा ने जाना पहली बार
रूप की चांदनी भी  महकने लगी।

सुधा चौधरी
बस्ती

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

शक्ति जब मिले इच्छाओं की, जो चाहें सो हांसिल कर कर लें। आवश्यकताएं अनन्त को भी, एक हद तक प्राप्त कर लें। शक्ति जब मिले इच्छाओं की, आसमा read more >>
Join Us: