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मां-सूर्य का प्रकाश नहीं समान कभी धूप कभी छाया मां की ममता में

राकेश 14 Jul 2023 कविताएँ अन्य मां की ममता, मां के आंसू, मां का दुलार 6154 0 Hindi :: हिंदी

सूर्य का प्रकाश नहीं समान, कभी धूप कभी छाया, मां की ममता में 
संतान को कभी फर्क नजर नहीं आया।

मां ने प्यार से कुछ भी खिलाया पिलाया, मां के हाथ का खाकर जग में सबसे प्यारे के हाथ का खाकर स्वाद आनंद नहीं आया।

मां के दुलार को समझने पर मां का दर्जा परमात्मा से कम नजर नहीं आया। 

संतान को गीले में सुलाना मां को कभी रास नहीं आया, खुद गीले में सोकर बच्चे को चैन से सोता देख मां को अद्भुत आनंद आया।

मां के आंचल की छाया ने मौत का भी भय दूर भगाया, गोरा हो या काला बच्चे को मां ने प्यार से सीने से लगाया।

अपनी दुआ में संतान के लिए परमात्मा से सुख मांगना नहीं मां ने छीन ना चाहा, परमात्मा को मां की ममता के आगे हारने में जीत का सुख नजर आया।

मां की ममता के मोह में फंस कर परमात्मा अवतार लेने से अपने को रोक नहीं पाए।

मां संतान के प्यार में, दुनिया के सारे खजाने छोड़ने में एक पल ना लगाएं।

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