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उन मंजिल की ,अकड़ तोड़नी है

Danendra 30 Mar 2023 शायरी समाजिक 55498 0 Hindi :: हिंदी

अकड़ तोड़नी है उन मंजिलों की
जिन्हे अपनी उचाई पर घमंड है।
हम भी हार मान लेने वालो मे से नहीं है।
उस मंजिल के घमंड से भी दबंग है।

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