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दोस्ती

Dhodee kumari 30 Mar 2023 कहानियाँ बाल-साहित्य बूढ़ा कौआ और गौरईया बहन की कहानी 111151 0 Hindi :: हिंदी

आसमान की तेज चमकती बिजली चारों ओर अंधेरे का कहर जहां काले के सिवा और कुछ नहीं इस रात को देख परेशान बेचारी गौरइया पेड़ पर बैठी अपने अण्डो की चिंता में परेशान हाय तोबा मचा रही थी तभी अचानक झट से पड़ा कौआ भइया का पहरा बेचारी गौरइया अपने भाग्य को कोसने लगी। हे भगवान! वैसे ही तो तेज बारिश और ऊपर से कौआ का पहरा मेरे अण्डो का क्या होगा तभी कौआ कांव-कांव करता हुआ बोला गौरइया बहना गौरइया बहना मुझे अपने घर में ठहरने की थोड़ी जगह दे दो मैं बूढ़ा। असहाय इस तेज आंधी भरी रात में कहा जाऊंगा गौरइया ने कुछ देर सोचा और फिर उसे उस बूढ़े कौआ पर दया आ गई उसने उसे ठहरने को तो कह दिया पर बेचारी इस चिंता के कारण रात भर सो नहीं पाई कि कहीं ये कौआ उसके अण्डो को ना खा ले मूसलाधार बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही थी अब भूख के मारे दोनों की जान निकली जा रही थी दो तीन दिन बाद बारिश का कहर कम हुआ और सूरज की रोशनी दिखाई दी पर गौरइया अपने अण्डो को उस‌ कौआ के पास छोड़ने को कतहई राजी नहीं थी कौआ भइया समझ गया गौरइया बहना कुछ परेशान सी है चलो उनसे पूछा जाए गौरइया बहना आप कुछ परेशान सी लग रही है क्या हुआ गौरइया ने कुछ नहीं बोला बस वो कौआ को देखती रही कौआ अब सब समझ गया वह उठा और भोजन की तलाश में निकल पड़ा भोजन खोजते खोजते उसे शाम हो गई तभी अचानक उसे एक बीज दिखाई दिया उसने झट से बीज उठाया और घर की ओर निकल पड़ा तभी अचानक तेज बारिश शुरु हो गई कौआ कुछ दूर तो उड़ा पर अब उस बूढ़े कौआ में इतनी जान कहां थी कि वह अपने घर पहुंच पाए। कौआ बेचारा उस बीज को अपनी चोंच में दबाए जमीन पर जा पड़ा उसे वहां पड़े दो तीन दिन हो गए अब उसे लग रहा था कि उसकी मृत्यु का दिन नजदीक है तभी उसकी नज़र उस बीज पर गई जो कि अब नन्हा पौधा बन चुका था कौआ ने थोड़ी देर गौरइया बहना के बारे में सोचा फिर अपने गले की माला निकाली और उस नन्हे पौधे पर रख दी उधर बेचारी गौरइया कौआ की चिंता में परेशान उसे ढूंढने जा निकल पड़ी तभी गौरइया की नजर उस माला पर पड़ी जो कि उस नन्हे पौधे को समेटे हुए थी और उसी के पास पड़े कौआ के मृत्य शरीर को देखकर गौरइया सब समझ गई और रोने लगी कुछ दिन बीत गए देखते ही देखते नन्हा पौधा पेड़ में बदल गया अब गौरइया ने उसी पेड़ पर रहने का निश्चय किया वह उस पेड़ की अच्छी से देखभाल करती और कभी कभी कौआ भइया की याद में फूट-फूट कर रोने लग जाती।

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