Uma mittal 30 Mar 2023 आलेख धार्मिक 11824 1 5 Hindi :: हिंदी
महाशिवरात्रि का त्यौहार आने वाला है |यह सोच कर मन गदगद हो उठता है कि इस बार कैसे माता पार्वती और भगवान शिव जी को प्रसन्न किया जाए| महाशिवरात्रि का त्यौहार माता पार्वती और भगवान शिव जी के पवित्र विवाह बंधन में बंधने की खुशी में मनाया जाता है और खुशी मनाई भी क्यों ना ,भगवान शिव और माता पार्वती की जोड़ी पूरी दुनिया में आदित्य प्रेम की मिसाल जो है | पुराणों के अनुसार एक बार माता पार्वती जिनका पूर्व जन्म में नाम सती था ,अपने मायके किसी यज्ञ में शामिल होने जाती हैं और वहां अपने पति अर्थात भगवान शिव जी का सम्मान कम देखकर काफी दुखी हो जाती हैं और वह उसी यज्ञ में अपना आत्मदाह तक कर लेती हैं जो कि अपने पति के लिए अद्भुत प्रेम की मिसाल हैं और उधर भगवान शिव जी को भी जब यह पता चलता है तो वह इतने दुखी और क्रोधित हो जाते हैं कि पूरी सृष्टि मानो त्राहिमाम त्राहिमाम करने लगती है और सभी देवी देवता भगवान शिव जी का क्रोध शांत करने के लिए प्रयास करते हैं ,यह एक अपनी पत्नी के प्रति आदित्य अनोखे प्रेम की मिसाल है,जो आज के इंसान में विलुप्त है,फिर वही माता सती अगले जन्म में माता पार्वती के रूप में पुन्ह जन्म लेती है और भगवान शिव जी के साथ विवाह बंधन में बंधते हैं | इसी उपलक्ष्य में महाशिवरात्रि का पवित्र उत्सव बड़ी धूमधाम और श्रद्धा से देश क्या विदेशों तक में मनाया जाता है |अगर वह किसी पर मेहरबान हो जाएं तो धन दौलत, शोहरत ,ऐश्वर्या यह सब तो बहुत मामूली हैं ,भगवान शिव जी के लिए किसी को उमर दान तक दे देते हैं जो कि नामुमकिन है,इसकी साक्षात मिसाल हमारे पुराणों में अंकित ऋषि मारकंडे कथा में मिलती है । यूं तो अनेक उदाहरण पुराणों में मिलते हैं जो कि माता पार्वती और भगवान शिव जी के कोमल, भोले भाले ,दयालु दानी सर्वशक्तिमान , भक्तों को मालामाल करने वाले सभी मनोकामनाएं पूरी करने वाले गुणों को दर्शाते हैं| शिव जी को भोले भाले इसीलिए कहा जाता है कि वह अपने भक्तों को देते हुए नापतोल कर नहीं ,थोड़ा मांगने पर ही खुले भंडारे की तरह बांटते जाते हैं तभी तो अपने विवाह के समय भी भगवान जी ने अपनी बरात में सभी को बराबर निमंत्रण दिया था किसी को भी नहीं छोड़ा था |हमारे भगवान शिव जी तो इतने दयालु हैं कि एक लोटा जल में ही प्रसन्न हो जाते हैं | समुंद्र मंथन के समय भी उन्होंने लोक कल्याण के लिए विष पी लिया था क्योंकि वह हलाहल इतना खतरनाक था कि अगर उसकी एक बूंद भी धरती पर गिर जाती तो ब्रह्मांड का विनाश हो जाता जिसको पीने से भगवान शिव जी का कंठ नीला पड़ गया परंतु सिर्फ उनका कंठ ही नीला पड़ा था |कहते हैं भगवान शिव जी का रंग तो इतना गोरा है कि कपूर की सफेदी भी उनके रंग के आगे फीकी है ,तभी तो कहा जाता है कि "सत्यम शिवम सुंदरम "अर्थात सत्य ही शिव है शिव ही सुंदर हैं | महाशिवरात्रि पर महादेव के कुछ भक्त उपवास रखकर भगवान की पूजा करते हैं तो कुछ बिना उपवास के ही अपने आप को भगवान शिव जी का बराती समझकर खूब उल्लास के साथ भोलेनाथ के जयकारे लगाते, नाचते गाते और भंडारे का आनंद लेते हैं |सचमुच महाशिवरात्रि के त्यौहार का भक्तों को हर वर्ष इंतजार रहता है |जिनके पास अपारशक्ति हो, सभी देवों के देव हो ,फिर भी सभी पर करुणा भरी दृष्टि रखते हो, सभी को अपार देने वाले खुद पहाड़ों पर विराजते हैं ऐसे देव को मेरा करोड़ों करोड़ों बार प्रणाम है |इनकी प्रशंसा में जितना लिखा जाए कम है| उमा मित्तल राजपुरा टाउन (पंजाब)
1 year ago