संदीप कुमार सिंह 20 Apr 2023 कविताएँ अन्य मेरी यह कविता समाजिक हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 8266 0 Hindi :: हिंदी
मार लिया मैदान मैं, दिल में है तूफान। जिद है मेरी जीतना,कृपा करे भगवान।। मार लिया मैदान मैं,मंजिल की है आस। सारी खुशियाँ अब मिले,मन में जब विश्वास।। मार लिया मैदान मैं, रहती चाह बुलन्द। आगे आगे ही बढूं,सदा रहे आनन्द।। मार लिया मैदान मैं,जीत गया हूं जंग। खुशी रंग में मस्त हूं,बदल गया है ढंग।। मार लिया मैदान मैं,चर्चा करे समाज। एक नव्य आदर्श हूं,करते हैं सब नाज।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....