संदीप कुमार सिंह 05 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 4489 0 Hindi :: हिंदी
सरगम सा वादियां झूम रहा है, सारे जीव कुतूहल सा देख रहा है। हवा भी मदहोशी लिए बह रही है, कली_फूल सभी गुनगुना रहा है। आसमान में काले बादल छाए हैं, उनको भी लोलुपता से जीव देख रहा। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....