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सोचकर बढ़ गयी धड़कन की लय-छूट ना जाए ये मंजिल

Samar Singh 28 Jun 2023 गीत अन्य हर बार कोशिश कर, मंजिल एक दिन अवश्य मिलेगी। 4979 0 Hindi :: हिंदी

क्यों लग रहा है मुझे भय,
बहुत कम है मेरे पास समय। 
छूट ना जाए ये मंजिल, 
सोचकर बढ़ गयी धड़कन की लय।। 

मिलेगी कब वो महफिल, 
खुशियाँ होंगी कब हासिल। 
टूट गयी है मेरी कश्ती, 
दूर है अभी साहिल।। 
कब तक होगा ये रास्ता तय, 
छूट न जाए ये मंजिल, 
सोचकर बढ़ गयी धड़कन की लय।। 

धूमिल पड़ी मेरी तकदीर, 
धूमिल हुई भविष्य की तस्वीर। 
अँधेरा ही अँधेरा है हर तरफ, 
रोशनी कब तक आयेगी आखिर। 
कब तक होगा मेरे किस्मत का सूरज उदय। 
छूट न जाए मंजिल, 
सोचकर बढ़ गयी धड़कन की लय।। 

टूटा नहीं अभी तक धीरज, 
कहता है दिल हर बार कोशिश में सज। 
तेरे कदमों में होगी तेरी मंजिल, 
बन तू अपनी किस्मत का खुद जज।। 
हर तरफ होगी तेरी जय, 
छूट न जाए ये मंजिल, 
सोचकर बढ़ गयी धड़कन की लय।। 

रचनाकार- समर सिंह " समीर G "

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