ब्राह्मण सुधांशु "SUDH" 30 Mar 2023 आलेख धार्मिक सामाजिक, आध्यात्मिक, संस्मरण, स्वास्थ्य, विकास 73262 0 Hindi :: हिंदी
कल रात के 3 बज चुके थे और नींद नहीं आ रही थी, मन मे अजीब सी बेचैनी हो रही थी लगा जैसे कुछ गलत हो रहा है, कोई ऎसा जो बहुत करीब है वो धीरे धीरे दूर जा रहा है मन में ऎसे ऎसे ख्याल आ रहे थे जैसे मानो अब इस देह का अंत निश्चित है! एक एक सेकंड काट पाना मुश्किल हो रहा था! ऎसे मे मै कभी बेड से उठ कर बालकनी मे जा कर सड़क देखता तो कभी अत्यधिक घबराहट की वजह से बार बार फ्रीज से बॉटल निकाल के पानी पीता! फोन की बैट्री भी फुल चार्ज हो कर जैसे कह रही हो मालिक आप मेरा इस्तेमाल कर लीजिए, लेकिन पूरा दिन फोन चलाने के बाद अब फोन की तरफ देख कर भी लग रहा था जैसे सारे फसाद की जड़ भी ये ही कलमुहा है! खैर सोच विचार मे और घर मे भ्रमण के बाद कानो मे हैडफोन्स लगाए और वापस सोने की कोशिश मे लग गया! मुझे अक्सर हॉलीवुड के सांग ही ज्यादा भाते हैं, तो उन्ही को सुनने लगा सोचा इनकी मधुर आवाज़ से तनिक मात्र नींद आ ही जाएगी लेकिन आज एलन वॉकर, इडी शीरण और डंकन लॉरेंस भी जैसे सुलाने के मूड मे नही लग रहे थे! फिर सोने के विचार को त्याग कर और रात काली करने के निश्चय से सोचा आज थोड़ा ज्ञान बटोरते हैं तो यूट्यूब पर ही उपनिषद् सुनना शुरू कर दिया! सुबह के लगभग 4 या 4;15 बज चुके थे मै बृहदारण्यक उपनिषद् सुन रहा था! जैसे जैसे बृहदारण्यक उपनिषद् सुनता जा रहा था मन में गजब की शांति आ रही थी! कुछ सवाल चल रहे थे उनके हल भी बड़ी ही आसानी से मिल रहे थे! बृहदारण्यक उपनिषद् के उच्चारण मे बताया गया कि प्रकृति अपने सभी काम स्वयं करती है, जो काम वह नहीं करती उसको करने के लिए ऋषि लोग बोलते हैं कि यज्ञ करो यज्ञ के द्वारा भी उन कार्यो को सफल किया जा सकता है जो प्रकृति के द्वारा सफल नहीं हो पा रहे हैं! मसलन संतान प्राप्ति के लिए या बारिश के ना होने पर यज्ञो के द्वारा इन कामों को प्राचीन काल मे सफल किया जाता था मन मे बहुत सारे सवाल पहले से चल रहे और ये एक सवाल भी घूमने लगा, कि आखिर यज्ञ से संतान उत्पत्ति और बारिश होना कैसे संभव है! जानने की जिज्ञासा से नींद पता ही नहीं कहां भाग गई थी! धीरे धीरे उपदेश आगे बड़ा तब बताया गया कि यज्ञ सफल होने के पीछे सबसे बड़ी वजह आहुति है, यज्ञ तभी सफल होगा जब उस निश्चित कर्म के लिए विशेष आहुति दी जाएगी! बात भले ही यज्ञ से जुड़ी हुई है लेकिन इसका अर्थ काफी गूढ़ लगा मुझे जो पूरी तरह से दिमाग मे ठहर गया! हर काम के लिए हम कोई ना कोई बलिदान देते ही हैं वो बलिदान ही हमारी आहुति और किया गया प्रयास रूपी कर्म यज्ञ ही तो होता है! चाहे वो सांसारिक क्रियाकलाप हो धार्मिक या वित्तीय ही क्यूँ ना हो, हम किसी एक वस्तु या व्यक्ति को पाने की लालसा में किसी अन्य वस्तु की या अन्य व्यक्ति की आहुति देते हैं! वास्तव में देखा जाए तो हर कार्य की सफलता के लिए आहुती अनिवार्य है! बिना आहुती के सफलता मिल ही नहीं सकती, इसीलिए किसी के भी आने जाने से खुद को प्रभावित नहीं होने दे! ये सांसारिक मोह की आहुती देने से झीझके नहीं ये आहुति ही है जिसका योगदान आपके जीवन की सफलता रूपी यज्ञ के लिए परम आवश्यक है!