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किसान और खेत

Shubham Kumar 30 Mar 2023 आलेख दुःखद किसान और खेत 33546 0 Hindi :: हिंदी

  मुझे गर्व है कि_  मैं गांव का निवासी हूं, और मेरे पिताजी किसान हैं, अपने खेतों से, कुछ इस कदर  किसान जुड़ा रहता है, जिसका  हम तुम, कल्पना भी नहीं  कर सकते, हर किसान एक कहावत कहता है_ वह कहावत यह है कि_ खेती जो है, वह पगड़ी बांधते  ही बिगड़ सकता है, यानी उनका कहना है, कि थोड़ा सा भी, हम अपने खेतों पर, ध्यान नहीं करेंगे तो, तो हमारी फसलें नष्ट हो जाएंगे,,  प्रतिदिन खेत का किसान, सुबह-सुबह, सब अपने खेतों पर, टहलने जाया करते हैं, और खेतों में होने वाली, घास को निकाल  देते हैं, अपने बच्चों की तरह, खेतों की फसलों की देखभाल करते हैं_ कभी कभी तो ऐसा लगता है, जैसे किसान को देखकर_ फसलें भी खुशी में_ झूम उठते हैं, क्योंकि उनका माली आ चुका है, जैसे ही फसलों में, कोई  बीमारी दिखती है, किसान घबरा जाता है, और  वह तुरंत, इसमें खाद्य पानी डालता है, कोई कोई किसान के पास पैसा नहीं रहने पर, शुद्ध ब्याज लेकर, भी अपने फैसले को बचाते हैं, जिन फसलों में, पानी नहीं होता, तो किसान, किसी प्रकार से, सारा दिन काम करके, उन फसलों में पानी देता है,  वह जो फसलें हैं, वह खुश हैं, क्योंकि उनका रखवाली करने वाला, किसान है, अगर ऊपर वाला, पानी ना दे तो भी, किसान तो,  किसी प्रकार से भी,        फसलों में पानी देता है,                        अब फसलें बड़ी हो चुकी हैं,  किसान अपनी फसल को देखकर, कितना खुश है, वह एक शुभ दिन देखकर, अपने फसलों की, कटाई करता है,  जो माली होते हैं, उन्हें दान देते हैं, किसान सिर्फ मेहनत ही नहीं करता, वह अपने फसलों से प्यार भी करता है, कितनी रातें, उन्होंने बिना सोए ही गुजारे, उन्हें अपने फसलों की , जब तक चिंता रहती है, जब तक फसल उनके घरों में नहीं आ जाते, कभी-कभी तो ऐसा भी होता है, कि कोई कोई लोग, जो धान का पुंज होता है,  उसमें आग लगा देते हैं,  और वह किसान, अपना सीना पीटता है रोता है, हाय कितनी दुख की! बात रही होगी, वह किसान, अपने फसलों को बचाने के लिए, कर्ज भी लेता है,  और इस समय इनके फसल, जल जाते हैं या नहीं होते, तब क्या होता है, यह तो एक किसान ही जानता है, किसान और खेती, का रिश्ता कुछ इस कदर है, वह एक दूसरे के, पूरक है, किसान होना बहुत ही गर्व की बात है, लेकिन हमारा समाज, किसान को खेती को घृणा की दृष्टि से देखते हैं, उन्हें समाज में इज्जत ही नहीं, उन्हें संसार में झूठे झूठे, लालच दिए जाते हैं, और उनके फसल किस तरह से, कम दामों में  यह किसी से छिपा नहीं,

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