Shubham Kumar 30 Mar 2023 कविताएँ दुःखद मैं और मेरा गांव 22477 0 Hindi :: हिंदी
चाचा मुझे अपने गांव याद आता है,, जिस गांव के नदी किनारे, कदम का पेड़ है, और जमुना नदी का पानी, के बात ही क्या कहने, चाचा मुझे अपनी गांव याद आता है, जहां सब लोग मिलकर, एक पीपल के पेड़ के नीचे, बैठा करते थे, किसी बात पर विचार होती थी, और सब हंसी ठहाके लगाते थे, सब लड़के मिलकर, नदी के किनारे खेलते हैं, चाचा मुझे अपनी गांव की याद आता है". वह बड़े , बुजुर्गों का, हमारी गलतियों पर चिल्लाना, याद आता है, वह गांव में देवी का मंदिर, जहां पर भजन-कीर्तन होते थे, वह बातें याद आता है,, जहां पर रात को, रामलीला होती थी, और उसे देखने को, आज भी मन तरसता है,, जहां पर फूलों की फुलवारी , से फूल तोड़ना, सब याद आता है, , दोस्तों के साथ, बचपन की लुकाछिपी का खेल,, वह सब याद आता है,, हमारे पिताजी को, हम पर चिल्लाना, सब याद आता है,, गांव के खेत खलियान में, b. गाय को चराना सब याद आता है ,, शादियों में जाकर,, बैठ कर खाना , सब याद आता है,, आम के पेड़ों पर चढ़कर, चुपके से आम तोड़ना, सब याद आता है,, तालाबों में जाकर, तैरना,, और नदियों का पानी पीना,, . गुल्ली डंडा, का खेल, सब याद आता है, मेरे गांव मेरी बचपन से, बचपन की यादों से, सिमटा हुआ है, जिस गलियों में मैं कभी, लुका छुपी का खेल खेलता था,, जिस पेड़ पर चढ़कर, कभी मैंने फल चुराए थे, जिस दादाजी से कभी मैंने, डांट सुना करता था, वह दादाजी याद आता है, मेरे गांव की हर बातें, मुझे याद आता है,, हरी पत्तियों को चबाना, तितलियों को पकड़ना, सब याद आता है,, आज मेरा वह गांव, गांव नहीं रहा, यहां कदम के पेड़ भी नहीं, जहां पर कोई फुलवारी नहीं, नदियां सिमटकर छोटी हो गई, वह गलियां सड़क हो गई, अब तो बहुत कम ही रामलीला देखने को मिलता है,, वह पीपल का पेड़ भी नहीं, वह दादाजी भी नहीं रहे,, मेरा सुंदर सा गांव, किस ख्वाबों में, सिमट गया, चाचा मुझे अपने गांव याद आता है,
Mujhe likhna Achcha lagta hai, Har Sahitya live per Ham Kuchh Rachna, prakashit kar rahe hain, pah...