Rambriksh Bahadurpuri 30 Mar 2023 कविताएँ बाल-साहित्य #Rambriksh Bahadurpuri#Rambriksh Bahadurpuri kavita #Rambriksh Bahadurpuri Ambedkar Nagar#Ambedkarnagar poetry #papa per kavita 10731 0 Hindi :: हिंदी
कविता -पापा की परी मैं पापा की परी हूं कभी रानी बिटिया कभी प्यारी मैना कभी दिल की दरिया की मोती खरी हूं, इसीलिए तो मैं पापा की परी हूं। जब पापा बनते हैं घोड़ा या गाड़ी बैठ उनके ऊपर दिखाती झंडी हरी हूं, इसीलिए तो मैं पापा की परी हूं। जब आतें लौट घर मुझे ढूंढ़ते हैं पाते मुझे कि मैं पहले से ही खड़ी हूं, इसीलिए तो मैं पापा की परी हूं। पापा का प्रेम नेह दौलत दुलार में ममता के मोतियों की गूथी एक लरी हूं, इसीलिए तो मैं पापा की परी हूं। मैं बेटी परायी हूं लोग कहते हैं पापा से पूछो मानों आत्मा ही बन निकल पड़ी हूं, इसीलिए तो मैं पापा की परी हूं। घर छोड़ जिस दिन परायी हुई थी पापा के आंखों से आंसू बन झड़ी हूं, इसीलिए तो मैं पापा की परी हूं। हे पापा मेरे पापा मैं उम्मीद, विश्वास और आप के बुढ़ापे की मजबूत छड़ी हूं, इसीलिए तो मैं पापा की परी हूं। रचनाकार -रामबृक्ष बहादुरपुरी अम्बेडकरनगर यू पी
I am Rambriksh Bahadurpuri,from Ambedkar Nagar UP I am a teacher I like to write poem and I wrote ma...