janak nandani 27 Aug 2023 कविताएँ अन्य नारी के आत्मसम्मान की बडा ही सरल भाव मे विवेचना किया गया है l 10414 0 Hindi :: हिंदी
नारी देश की उज्जवल है नर देश के रच्क्षक l कभी नहीं झुकने देंगीँँ अपने देश का मस्तक ll अरमाँँनो को पुरा करती l मिट्टी की वो लाज बचाती ll घर संसारो की शोभा वो बन जायेँं सबका अंशक कभी नहीं झुकने देंगी..... हर कुल के तारीक पर प्रभाव दीपक जलाती l छटा है l ये स्वरुप उनका जिसमेँं भुवन बनाती ll आवाज लगाये आलय को तु बना रहे l मेरा दर्शक कभी नहीं झुकने देंगी .......