राहुल गर्ग 21 Mar 2024 शायरी प्यार-महोब्बत Rahulvision1.blogspot.com 2902 0 Hindi :: हिंदी
अनजान हूँ मैं अपने ही दिल ऐ मिजाज से ये कमबख्त ख़ुद को ही तन्हा कर लेता है ।1। नहीं रह पाता है कभी उसके बगैर फिर क्यूँ ये उससे लड़ाई मोल लेता है ।2। आवेश में बहक जाता है हमेशा इस कदर कि खुद को ही हर गुनाह की सजा देता है ।3। हर बार खाता है कसमें ना मिलने की उससे और हर बार ये सारी कसमें तोड़ देता है ।4। तय करना ही पड़ेगा किसी न किसी दिन इसे क्यूँ ये हर पल को उससे जोड़ लेता है ।5। हर बार तोड़ देता हूं आईना उसकी तस्वीर का कमबख्त बिना सोचे ये हर टुकड़े को जोड़ लेता है ।6।