Ratan kirtaniya 30 Mar 2023 कहानियाँ अन्य ग्रामीण जीवन शैली के अन्तर्गत एक परिवार की मर्मिक चित्रण है 22939 0 Hindi :: हिंदी
पात्र परिचय परिमल - परिवार का मुख्य मधुरी - परिमल का पत्नी भोला - पालतू कुत्ता ( परिमल का ) करिश्मा - परिमल का बेटी कृष्णा - परिमल का बेटा दिलीप - ज़मीनदार देबू - ज़मीनदार का सुरक्षा गार्ड कपिल - मुंशी अशोक - मोटर साईकिल वाला राजु - डाँक्टर अनुप - पड़ोसी खेत वाला ( जो दो नम्बरी धंधा करता है ) मधुलता - अनुप का बेटी अनिता - अनुप की पत्नी ( इस में और पात्र हैं कृष्णा , मधुलता, अनिता, आदि के बारे में भाग २ में लिखा जायेगा) मधुरी :- भगवान करे , ऐसा पति किसी को ना मिले , घर का कोई ध्यान नहीं , दिवस भर निकम्मा को घुमने - फिरने का ही कर्म है , घर का क्या हाल है ? वह बेखबर है ,आने दो आज अच्छी से खबर लूँगी , पूस आने वाला है , लेकिन अभी से यत्न नहीं किया तो कम्बल के लिए मुश्किल हो जाएगा , कम्बल जरूर खरीदाऊँगी पूस में मानों बदन की तमाम धमनियां की खून जम जाएगी । परिमल :- मधुरी - ओ - मधुरी ( मधुरी नरज़ कुछ नहीं बोलती है ऐंठी पति कि ओर देखती रहतीहै।) मधुरी :- हाँ - हाँ ! मैं जिन्दा हूँ , भगवान करें तुम्हारे जैसा पति किसी और को ना मिलें । घर खेत में अपार कर्म है और उसे छोड़कर नबाव दिवस - दिवस घुमना - फिरना है । परिमल :- ऐसी मत बोलो ! इस साल खेत - खलिहान का हाल ठीक नहीं है , मैं भी चिंता में हूँ । मधुरी :- हाँ - हाँ क्या चिंता ? तो नबाव साहब दिवस भर कहाँ थे ? परिमल :- ज़मीनदार के पास गया था , ताकि खेत - खलिहान से अवगत करा दूँ ; धान का कर कम कर सकूँ । मधुरी :- मुझे कुछ पता नहींं , पूस इने के पहले कम्बल लेना है , चाहे तुम ज़मीन - आकाश एक कर दो, पैसा ब्याज में लाओं । लेकिन पूस की ठंड के पहले कम्बल ले देना पड़ेगा ; याद रखना । करिश्मा :- पिताजी ! कल स्कूल में परीक्षा फीस जमा करना है , नहीं तो मास्टर जी डटेगा । परिमल :- रे भगवान ! इस साल फसल ठीक नहीं है , बीवी साहीबा कम्बल के लिए जान खा जा रही है । ऊपर से बच्ची की स्कूल फीस भी जमा करना है ; चलों खेत - खलिहान में लगन देते हैं । मधुरी :- हाँ - हाँ कुछ भी करों ! कम्बल अगर ना मिली ; तो नल - जल - थल एक कर दूँगी । ( परिमल मन ही मन सोचता है , भोर होते ही ज़मीनदार के पास जाऊँगा ) देबू :- रुको - रुको ! कौन , क्या चाहिए ? परिमल :- भाई , ज़मीनदार से मिलना चाहता हूँ , आप से सनम्र निवेदन है कि आप साहब को खबर कर दीजिए , कि परिमल आप से मिलना चाहता है । देबू :- साहब - साहब ( आवाज देता है ) दिलीप :- कौन , अच्छा देबू ! क्या हुआँ ? जोर - जोर से चिल्ला रहे हो ? देबू :- परिमल आप से मिलना चाहता है । दिलीप :- ठीक है अन्दर भेज दो । देबू :- साहब आप को अन्दर बुलाया है । फरिमल :- साहब - साहब । दिलीप :- बैठो परिमल , इस साल फसल कैसी है , देखो इस साल , पीछले साल की तरह घटा मत कर देना । परिमल :- नहीं साहब , फसल अभी ताक तो ठीक - ठाक है , पर साहब मौसम तो ठीक नहीं है ,क्या होगा ? लगता है दो - तीन बार सिंचाई करना होगा । दिलीप :- हाँ तो करों क्या दिक्कत है ? परिमल :- साहब जी कुछ पैसा चाहिए था ,ताकि मोटर का जुगाड़ हो जाए । दिलीप :- मोटर जहाँ तक ठीक है ; सिंचाई होगी तो फसल ज्यादा होगी , हिस्सा भी मिलेगा । पर पैसा क्यों ? परिमल :- साहब जी ! बच्ची की स्कूल फीस जमा करना है । दिलीप :- हाँ पैसा तो हो जायेगा , पर ३% ब्याज में दूँगा , लेकिन तुम को ग्राँटेड के तौर पे कुछ सोना - चाँदी जमा रखना होगा । अगर मंजूर हो तो मुंशी से लिखा - पढ़ी करके पैसा ले लो । परिमल :- हाँ - हाँ ठीक है । दिलीप :- कितने पैसा चाहिए ? परिमल :- दो हजार । दिलीप :- ठीक है मुंशी के पास जाओं । कपिल :- आओं ,परिमल कैसे आना हुआँ ? परिमल :- मुंशी जी मुझे दो हजार पैसा चाहिए । कपिल :- ठीक है पर लिखा - पढ़ी करना होगा , सोना - चाँदी भी जमा करना है , आप को कर्ज़ चुकाने में कितने समय चाहिए ? परिमल :- ६ महीने लग सकते हैं। कपिल :- तो छ: महीने के हिसाब से लिखा - पढ़ी करता हूँ , अगर छ: महीने में लेन - देन ना चुका, तो सोना - चाँदी वापस नहीं होगा , लेकिन पैसा ३% ब्याज से फसल से काटेगा । ( इस तरह दोनोंं में सौदा तैय होते हैं ) परिमल :- बेटी ! स्कूल फीस कितनी है ? करिश्मा :- ५०० रु , पिताजी । परिमल :- ले ! हाँ तुम्हारी पढ़ाई कैसी चल रही है ? देखो बेटी ; तेरी पिता कितना निर्धन है , तुम पढ़ो लिखो आगे बढ़ो कितनी आश है , इस पैसा का मान - सम्मान रखना । करिश्मा :- माँ - माँ ; मैं स्कूल जा रही हूँ । आज आने में थोड़ी देर हो सकती है । परिमल :- मधुरी ओ मधुरी कहाँ हो ? खाना निकालो ; हम दोनों को भूख लगे हैं । बेचारा भोला को भूख लगा है । मधुरी :- हाँ - हाँ दे रही हूँ , खाने के बाद ; खेत जाओं और काम धंधा में ध्यान दो , ज़मीनदार साहब का कर्ज़ चुकाना है , और गिरवी सोना - चाँदी छुटाना है। ( परिमल खाना खाने के बाद कुत्ता को लेकर खेत चला जाता है । ) परिमल :- रे भोला ! देख तो धान कैसा है ; ठीक है ना , इस साल फसल को गाय - बैल से रखवाला अच्छा से करना है , पीछले बार फसल को बर्बाद कर दिया था । दो - तीन सिंचाई भी करना है । परिमल :- देख तो भोला , कौन दौड़ी - दौड़ी आ रही है, तेरी मालकिन की तरह लग रही है ,नज़र ठीक से नहीं आ रहा है । भोला :- भौ - भौ - भौ । मधुरी :- चलो घर चलो , एक बुरी खबर है , बेटी की दुर्घटना हो गई है । परिमल :- कैसे हुआँ ? मधुरी :- एक मोटर साइकिल वाला ने बेटी की साइकिल को टक्कर मार दी है , वह अभी अस्पताल में भर्ती है , डाँक्टर ने कह , बिना मुख्य के हाथ नहीं लगाऊँगा। परिमल :- चलो - चलो जल्दी घर चलो , ( परिमल - मधुरी दोनों घर की ओर रवाना होते हैं ) मधुरी :- नहा लो तब तक , मैं भी तैयार हो जाती हूँ । परिमल :- बेटी क्या हाल में है ? मधुरी :- बोला है ; मामूली चोट आई है । परिमल :- जल्दी तैयार हो जाओं । हमारा इकलौती बेटी है । परिमल :- नमस्कार ; डाँ साहब जी । राजु :- कौन ? परिमल :- सर !.हम दोनों करिश्मा के माँ - बाप हैं । राजु :- अच्छा । परिमल :- मेरी बेटी की हालत कैसी है ? राजु :- मामूली चोट है ; पर पर उसकी दाई हाथ टुट गई है , आप दोनों चाहें तो उस मोटर साईकिल वाले के खिलाफ एफ , आई , आर कर सकते हो । परिमल :- सर , हम दोनों को को थोड़ा सोचने का मौका दो । ( इस तरह दोनों के बीच वर्तलप होती है ।) परिमल :- क्या करुँ मधुरी ? मधुरी :- देखो गलती हर किसी से भी हो सकता है , केस दर्ज करने से बेटी का हाथ तो नहीं जुड़ जाएगा , फिर भाग - दौड़ गवाह लाओं , तमाम परेशानियां , किसी को दौड़ने के लिए , खुद को भी दौड़ना पड़ता है । अशोक :- चाचाजी , गलती हो गया है , इसके इलाज के पूरा खर्च उठाने. को ,मैं मंजूर हूँ । परिमल :- क्या भरोसा , तुम वादा पूरा करोगे , या रास्ता में ही छोड़ के भाग जाओगे । मधुरी :- ठीक है । परिमल :- देखो मधुरी , अगर अशोक आधा रास्ता छोड़कर गया ,तो परेशानियां खुद को ही उठनी पड़ेगी । तुम कहती हो तो ठीक है ,बाद में हम से कुछ ना कहेना । ( इस तरह उस की इलाज चलती है अत: दो महीने बाद अशोक का कुछ आता - पता नहीं रहता है ) मधुरी:- इस साल खेत में ध्यान दो , पता मुझे बेटी के पीछे बहुत पैसा खर्च हुआँ है , अशोक दो महीने बाद तो नौ - दो - ग्यारह हो गया , आज कल भला मानष का नामों निशाना नहीं है , किसी पे विश्वास का जगत नहीं रहा । परिमल :- हाँ , मैं तो उस समय कह था कि एफ , आई , आर कर देते तो ! कितना अच्छा होता , आज घर का हाल आटा - गीला ना होता । मधुरी :- आज उस पे विश्वास कर के बड़ी भूल कर दिया हूँ , मानष - रुप राक्षस को पहचने में गलती कर बैठी । तुम मर्द हो ! अब तो ठीक हो गई है , इस साल पू, आने के पहले अगर कम्बल ना मिला तो घर में कुरुक्षेत्र का रण भूमि बन जाएगा याद रखना । परिमल :- ( मन ही मन में सोचती है जीवन में बहुत बेला व्यर्थ में बीताया हूँ ! पर अब घर का पूरा दायित्व निर्वाह करना है , विवाह के समय मधुरी का हाथ अपने हाथ मेंं देते समय ; उसकी पिता जी जो दो शब्द बोले थे , आज भी मुझे याद है ।) मधुरी :- ऐंठा क्यों बैठे हो , खाना तैयार हो गया , खाओ और खेत का रास्ता नापों । परिमल :- हाँ बाबा जाता हूँ , चल भोला खेत का काम ठीक से करना है , शीश पे ज़मीनदार का कर्ज़ की बोझ है , चिंता खाई जा रही है , खेत के लिए दिवस - निशा एक कर देना है । -------------- (खेत का क्या हाल है ? फसल सुखने लगी है , कहीं से मोटर का व्यवस्था करना पड़ेगा ।) अनुप :- परिमल आरे भाई ! तेरा - मेरा खेत आस - पास है तो एक काम करना । परिमल :- क्या भाई ? अनुप :- मेरे पास समय का अभाव है , सब्जियां लेकर आज ए बाजार , कल ओ बाजार जाना पड़ता है , और घर वाली बच्ची को देखने मायके गई है उसकी ( बच्ची ) का तबियत ठीक नहीं है , तू मेरे खेत में पानी पला दे तो ! बड़ी महरबानी होगा । परिमल :- नहीं रे अपना भी धान सूख रहा है , नहीं होगा रे ! (परिमल बोल दिया है पर मन में सोचता है मेरे पास मोटर की समस्या है , क्यों ना एक सौदा कर लेते हैं । ) अनुप :- देख तेरे पास मोटर की समस्या है , एक रास्ता है , चाहे तुम एक दोपहर मेरे खेत में पानी पला देना , फिर एक दोपहर अपने खेत में पानी पला सकते हो । ( ए बात सुनकर मानो परिमल की मन का बात बोल दिया है अत: वह तुरन्त राजी हो जाता है । ) परिमल :- (मधुरी से) अनुप भाई ने मानो एक वरदान दिया है । मधुरी :- कैसे अनुप मुझे एक दम पसंद नहीं है , वे तो बहुत चालू और दो नम्बर धंधा वाला है कहाँँ गंजा , अफीन , चरस का कारोबार है , उस के साथ कोई भी समझोता मुझे ठीक नहीं लगती । परिमल :- मैं तो उस के साथ कारोबार में तो काम नहीं कर रहा हूँ , बस उस के मोटर से उस के खेत में पानी पला देना है , फिर समय देख कर अपने खेत में । मधुरी :- ठीक है ! दैख के भाई मुझे तो अनुप से डर लगता है , जो भी करों सोच समझकर करना , ज़मीनदार का कर्ज़ अदा करना है , फिर बेटा के लिए पैसा भी भेजना है , पता नहीं कृष्णा किस हाल में है । परिमल :- कृष्णा !.बहुत दिन से चिट्ठी भी नहीं लिखा है उसे अपने माँँ - बाप - बहन की कोई चिंता नहीं , ऐसे नालयक बेटा ! रे भगवान । ( इस तरह अनुप के खेत में गंजा का पौधा मिलता है , और खेत की देख - रेख परिमल करने के कारण पुलिस पकड़ के जेल भेज देता है , धीरे -.धीरे वह बीमार पड़ जाता है अचानक वह मृत्यु की गोद में सो जाता है ।) दिलीप :- देख के मौका - मारों चौका , मुंशी जाओं अपने लोगों को लेकर परिमल की खेतो को कब्जा कर ले लो । ( इस तरह ज़मीनदार के मन में लालच जन्म लेता है और परिमल की खेत को कब्जा करने की साजिश रचता है ) इस का दूसरा भाग लिखना बचा है रतन किर्तनीया छत्तीसगढ़ जिला :- काँकेर मो * 9343698231 9343600585