Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

हिमालय महिमा

Mohan pathak 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य प्रकृति वर्णन 31188 0 Hindi :: हिंदी

हिमालय महिमा   
                             
गवाक्ष खोल विराट हिमालय के कर दर्शन                       
  हिमाच्छादित उत्तुंग चोटी छूने को है गगन।

बाल उषा नन्ही अरूण रथ पर हो सवार।                                     
निज कर कमल से करती अदभुत श्रृंगार।                                  

लेकर माटी गेरुआ चढ़ा दिया नग के भाल। 
कैसी आँखमिचौनी पल में श्वेत पल में लाल।
‌
चितपट खोलो करता स्वागत नवल प्रभात।                               
  बीती यामिनी चरण पखारुं भर पानी परात।                                    

अचल सेवक प्रतिक्षण भरता मन मेंअनुराग।                          
 कर्तव्य समझ अपना चले लिए कर चिराग।                            

तपस्वियों की तपस्थली है भारत का प्रहरी।                                
  प्यास बुझाता धरती की भर भर जल गगरी।                                    

हृदय में रत्न संजोये दिव्य करत है प्रतिदान।                                 
 दृढ़ संकल्प रक्षा का कर्तव्य है पुण्य महान।                                    

गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र,सतलज,रावी व व्यास।                             
कल-कल छल-छल मिटाती धरा की प्यास।                                  

आकर देखो  इसकी कला और जलप्रबंधन।                                 
शीत में करे संग्रहण ताप में होता हिमद्रवण। 

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

शक्ति जब मिले इच्छाओं की, जो चाहें सो हांसिल कर कर लें। आवश्यकताएं अनन्त को भी, एक हद तक प्राप्त कर लें। शक्ति जब मिले इच्छाओं की, आसमा read more >>
Join Us: