भूपेंद्र सिंह 19 Dec 2023 कहानियाँ दुःखद चमेली एक दुख भरी कहानी 13509 1 5 Hindi :: हिंदी
एक छोटे से शहर के एक सरकारी दफ्तर में एक कोने में एक बेंच पर एक 60वर्षीय बूढ़ा व्यक्ति रामलाल किसी चिंता में ध्यानमग्न सा बैठा था। उसके चेहरे की सलवटे देखकर ये अनुमान लगाया जा सकता था की शायद वो किसी का इंतजार कर रहा था। जीवन भर के संघर्ष की रेखाएं उसके चेहरे पर साफ झलक रही थी।एक कमरे का दरवाजा खुला और एक सरकारी कर्मचारी हाथों में कुछ कागज़ लिए धीरे धीरे रामलाल की और बढ़ने लगा।रामलाल उसकी और आंखे फाड़ फाड़कर देखने लगा।उसे उम्मीद थी कि आज तो उसका काम हो गया होगा।कर्मचारी बिल्कुल रामलाल के पास आकर खड़ा हो गया और रामलाल के हाथ में वो कागज़ात थमा दिए।वो कर्मचारी अपने वक्षस्थल में अनुकंपा भरते हुए बोला "देखिए दादा जी,ये सरकारी कार्यवाही है। जहां काम धीरे धीरे ही होते हैं।आपको पेंशन मिलने लग जायेगी।" ये सुनते ही रामलाल थोड़ा सा उत्सुक हो उठा। तभी उस कर्मचारी ने कुछ ऐसा कह दिया की रामलाल के हूक सी उठ खड़ी हुई।"दादा बस आपको दस दिन और इंतजार करना पड़ेगा।" ये सुनते ही रामलाल पूरी तरह निराश हो गया। वो पिछले 10 - 20 दिनों से लगातार यही जवाब सुन रहा था।वो उस सरकारी दफ्तर से निकला और निराशा से अपनी उस टुट्टी हुई झोंपड़ी की और बढ़ने लगा। वो कुछ देर के लिए अपनी सोच में गुम सा हो गया। वो सोचने लगा की अगर उस सड़क दुर्घटना में उसके बेटे और बहू की मौत नहीं होती तो उसे आज ये दिन नही देखने पड़ते।उसका भूत उसके मस्तिष्क में आने लगा।वो निराशा से अपने टूटे फूटे झोंपड़ी जैसे घर में घुस गया। उसकी पत्नी हरमा देवी कुछ उत्सुकता से उसके पास आई और उत्सुकता से रोज की तरह वही सवाल पूछ डाला"काम हुआ क्या?" ये बोलते ही वो कुछ देर के लिए मौन सी हो गई।रामलाल ने भी हर रोज की तरह ना में सिर हिला दिया। हरमा देवी भी पूरी तरह से निराश हो गई। रामलाल ने अपनी पत्नी के चेहरे की और गंभीरता से देखते हुए पूछा" चमेली की तबियत कैसी है?" ये सुनते ही वो फिर से मायूस सी हो गई और एक कोने की और अंगुली कर दी। उस कोने में एक टूटी हुई खाट पर एक 8-9 वर्ष की लड़की लेटी पड़ी थी। रामलाल ने अपनी पोती की और देखते हुए एक ठंडी आह भरी।"चमेली को बहुत तेज बुखार है,खांसी और जुकाम भी है।" हरमा देवी ने सिसकते हुए कहा।"घर में जो कुछ भी खाने के लिए था सब खत्म हो गया और हमे तो पेंशन भी नही मिल रही।" हरमा बाई ने फिर से कहा। कुछ देर के लिए वे दोनो ही स्तब्ध से खड़े रहे।हरमा बाई ने फिर धीरे से पूछा" आप कल फिर से सरकारी दफ्तर जाओगे क्या?" ये सुनते ही रामलाल थोड़ा सा चौंक गया। उसे लगने लगा जैसे उसकी पत्नी उसे चिढा रही है।रामलाल ने धीरे से हां में सिर हिला दिया और तेजी से चमेली की और देखा वो खांस रही थी ।उसने अपने दादा की और कुछ शकभरी निगाहों से देखा। रामलाल ये देखकर थोड़ा सा घबरा गया और तेजी से अपने घर के बाहर निकल गया।वो अपने कदम घसीटते हुए धीरे धीरे शहर की और बढ़ने लगा। उसके मन में कई विचार तेजी से दौड़ रहे थे।उसकी पोती चमेली का बुखार से मुरझा चुका चेहरा बार बार उसके सामने आ रहा था।वो सोच रहा था की अगर उसे शहर में कोई काम मिल जाए तो वो चमेली के लिए दवाई खरीद सकता था। ये सोचते हुए वो तेजी से शहर की और बढ़ने लगा। शायद भगवान भी उसके साथ थे। उसे एक बाग की साफ सफाई का काम मिल गया।शाम को काम पूरा हो जाने पर उसे 500रूपये दिए गए।उसकी खुशी का कोई ठिकाना न रहा। वो तेजी से बाजार गया। चमेली के लिए कुछ दवाइयां और मिठाई उसने खरीदी और तेजी से घर की और बढ़ने लगा। अंधेरा हो चुका था। वो तेजी से अपने घर में जा घुसा।जाते ही वो चिला पड़ा "देखो मैं चमेली के लिए दवाइयां और मिठाई लाया हू, अब सब कुछ ठीक हो जायेगा।" हरमा रोती हुई उसके पास आई । रामलाल ने कंपकंपाते हुए शरीर के साथ डरते हुए पूछा "चमेली कहा है?" हरमा बाई ने रोते हुए एक और इशारा किया। चमेली औंधे मुंह लेटी पढ़ी थी मानो उसमे प्राण ही ना हो।रामलाल के हाथ से दवाइयां जमीन पे जा गिरी।। भूपेंद्र सिंह रामगढ़िया।।