Divya singh 30 Mar 2023 शायरी समाजिक 53688 0 Hindi :: हिंदी
जिंदगी की इस सफर में कोन अपना है , कोन पराया है ,कभी अपनो ने ही धोखा दिया तो कभी गेरो ने अपनाया है ,रिश्तो का न कोई मोल है ,सब पैसों का ही बोल है , पैसों की इस संसार मे सब बिकते है ,रिश्ते अब बाज़ार में। आपस मे न कोई मेल है ,सब पैसों का ही खेल है पैसों से ही बनते अब रिश्ते नाते पैसे से ही बनता है परिवार है, न हो पैसा तो देखो कैसे मुह फेरता अपना ही परिवार है ।। चंद पैसों के खातिर देखो रिश्ते कैसे टूट जाते है ,भाई -भाई आपस मे एक दूजे से रूट जाते । पैसे की शक्ति तो देखो पापी भी पाप छुपाते है कर के थोड़ा दान पुण्या ओर प्रभु भक्त कहलाते है ,पैसा तो खुब कमाया पर रिश्ते - नाते सब टूट गए ,अपनो के हाथों से हाथ छूट गए । कड़वी है बाते पर सच यही है दोस्तो पैसा अब जरूरत नही जीवन बन गई है दोस्त.