DINESH KUMAR SARSHIHA 30 Mar 2023 आलेख समाजिक #rules,#discipline,#life 84341 0 Hindi :: हिंदी
सृष्टि का हर एक कण अनुशासन के अनुसार ही गतिमान है।शरीर का हर एक अंग भी अनुशासन के कारण ही सही ढंग से काम करता है।यदि कोई भी अंग दूसरे अंग की भांति काम करना शुरू कर दे तो शरीर का नाश हो जाएगा,इसलिए हर अंग अपने अनुशासन का पालन करते हुए अपना काम प्रतिबद्धता से करता है।जिससे शरीर स्वस्थ रहे।उसी प्रकार ब्रह्मांड भी अपने सारे कार्य नियमानुसार अनुशासित तरीके से ही करता है।चंद्रमा अपनी तय गति से ही चक्कर लगाती है,अपनी दूरी को बनाये रखती है।ब्रह्मांड का हर एक पिंड,ग्रह अपने तय प्रकृति के नियमों का पालन करती है।कोई भी सूर्य और चंद्रमा को निर्देश नहीं देता है,फिर उन्हें किसका भय है कि खुद को नियमों में बाँधे हुए हैं।क्यों नही अपनी स्वतंत्रता का इस्तेमाल करते हैं,क्यों नहीं कही भी इधर उधर ब्रह्मांड में चक्कर लगाते हुए घूमते हैं।उन्हें मालूम हैं कि अगर उसने ऐसा किया तो ब्रह्मांड के लिए विनाशकारी होगा।और अपने का ही विनाश होगा।जो नियम विधान हमारे जीवन को स्वस्थ,सुरक्षित और सुंदर बनाते हैं,उनका पालन हमारी जिम्मेदारी है।इसलिए बेहतर है कि अपनी आजादी को बनाये रखने के लिए हम।अपने लिए विधान बनाएं और स्वेच्छा से अपने जीवन को बनाये गए नियमों पर चलने के लिए तैयार करें।यह बंधन बहुत खूबसूरत है और हमारे स्वतंत्र बने रहने का आश्वासन देता है।जीवन का उद्देश्य है स्वयं को विकसित करना।सृष्टि में सभी प्राकृतिक नियमों का अनुपालन एवं अनुसरण करते हैं।अतः हमें भी इनका पालन करना चाहिए।
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