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रश्मी रथी

Amit Kumar prasad 30 Mar 2023 कविताएँ देश-प्रेम This poem is a hope of preparing Surya as work. 16372 0 Hindi :: हिंदी

भगवे का धारन करूण धरा , 
अविचल धरती सम्मानी हैं! 
 है विश्व को देता अजय दान, 
 सूर्य दया का दानी हैं!! 
                     स्वर्ण रथ को धारण कर, 
                     प्राकृती के दूःखो  का हरता हैं! 
                     सप्त अश्व का रथी उदित, 
                     नारायण नाम का धरता हैं!! 
रश्मो को करूणा का दान दिया, 
प्राकृती को ऊर्जावान किया! 
रश्म के रथ का चालन कर्ता, 
रश्मीरथी आप का नाम लिया!! 
                 रश्मो के रथों पर चलने वाले, 
                 सूर्य भक्त कहलाते हैं! 
                 अविधा निविधा  की करूण धरा को , 
                 भगवा विलिन कर जाते हैं!! 
है करता नमन ये संत समाज, 
संतो का आप सनातन हो! 
कर्मो की पूजीत किरण पूंज मे, 
सूर्य भी भगवा धारी हैं!! 
                       है नाज विश्व का करूण शुलोक,
                       भू लोक मे अक्क्षय त्राण भरे! 
                       संतो के वर्ण का रंग भगवा, 
                       चरितार्थ को जो पुरूषार्थ करे!!
हे! रश्मीरथी है नमन आपको, 
कर्ण को कवच का दान दिया! 
कृष्ण सुदर्शन सूर्य समक्क्ष, 
पल मे प्राकृती रोक दिया!! 
                          है करूण दया का भार प्रभू, 
                          मीत्र भगवे की निशानी हैं! 
                          है विश्व को देता अजय दान, 
                          सावित्र दया का  दानी हैं!! 

Poet : Amit Kumar Prasad
 कवी   : अमित कुमार प्रशाद

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