संदीप कुमार सिंह 09 Nov 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है. जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभांवित होंगे. 11710 0 Hindi :: हिंदी
#विधा:_दोहा छंद #"सृजन समीक्षार्थ प्रस्तुत" समझो जीवन अर्थ को,हमें मिला वरदान। जगत सजा संगीत से,बनिए सदा सुजान।। समझो जीवन अर्थ को,रहे निराशा दूर। जिगर फौलाद का हमें,आँखों में है नूर।। समझो जीवन अर्थ को,व्यर्थ नहीं है काल। मिला कदम को काल से,जीवन है खुशहाल।। समझो जीवन अर्थ को,अर्जित करना शक्ति। खड़ा हिमालय कह रहा,करना नहीं विरक्ति।। समझो जीवन अर्थ को,रखो इरादा सख्त। जीने का जब हो हुनर,मिलना तय है तख्त।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....