Manisha Singh 30 Mar 2023 कविताएँ दुःखद Poetry, Stories, Hindi, News, New, update, shayri, #Hindikavita #Hindi 8584 0 Hindi :: हिंदी
ये कैसे संसार में हम जी रहे हैं, जहाँ ने संवेदनाएँ हैं और न लगाव ना किसी का दर्द हमे महसूस होता हैं और ना किसी की ख़ुशी हमसे बर्दास्त, भरोसा करे तो धोखा पाते हैं प्यार हो जाये तो टुकड़ो में काट दिये जाते हैं शायद ही अब कोई बचा हो जो जो बिना स्वार्थ के कुछ भी कर जाये | दोस्त दोस्त को मारता हैं पिता ख़ुद अपनी जनी पर, गिद्ध सी नज़र गाड़ता हैं, शायद हम भूल गये हम किन पूर्वजो की औलादे हैं जिनके आदर्शो का डंका बजाता ये संसार था, उनके इन्हीं आदर्शो की आज खिल्ली उड़ाते हम सरे बाज़ार है लाज शर्म पशुओं में तो आज भी ज़िन्दा है मैं पूछती हूँ हमारी भावनाएँ कहाँ गयी ? आख़िर कौन इसका कुसूरवार हैं ?
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