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बेटी की कद्र

आरती सिंह 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक बेटी की कद्र, बेटी 45170 0 Hindi :: हिंदी

कद्र करो भाई कद्र करो बेटी की तुम कद्र करो।
बेटा हो या बेटी हो भेदभाव तुम नहीं करो ।कद्र करो भाई कद्र करो 
अपनी बहन से वादा करते जीवन भर में रहूंगा रक्षक।
अगर मिले तुम्हें बहन किसी की क्यों बनते हो उसका भक्षक।
नोच नोच के खाते उसको पूरा बदन जलाते हो।
और कहते हो मर्द अपने आपको जरा रहम ना खाते हो 
मां-बाप को बोझ न समझें दुनिया भर के ताने खाती
और बेटी से तुम ही उम्मीद लगाते हो।
क्यों होता है भेदभाव यह  
क्या बेटा क्या बेटी 
अपने बहन समझकर देखो खुशियों से वह घर भर देगी।
ऐसी होती है बेटी।
कद्र करो भाई कद्र करो बेटी की तुम कद्र करो।

 धन्यवाद
आरती सिंह

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