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*प्रेरणास्पद कहानी 💐*प्रोफेसर की सीख..*💐 ✍🏻प्रस्तुतकर्ता-सपनों का सौदागर.....करण सिंह

Karan Singh 30 Mar 2023 कहानियाँ समाजिक Ram/जय श्री राम/धार्मिक महत्व/सपनों का सौदागर.... करण सिंह/ Karan Singh/भंडारा और तीन दोस्त/हिन्दू परम्पराएं और उनका महत्व/चौदह प्राचीन हिन्दू परम्पराएं और उनसे जुड़े लाभ/Sapno ka sodagar... Karan Singh/शादी-विवाह का महत्व/शादी-विवाह के लिए गोत्रो का महत्व/चयन का महत्व/भक्ति/धार्मिक कथा/रामायण/महाभारत/***************************************** *🌸प्रेरक कहानी🌸*#सहारा** 💐प्रस्तुतकर्ता-सपनों का सौदागर......करण सिंह💐/सहारा/छोटी बहू/आदर्श बहु/जिम्मरदारी/*🌳🦚प्रेरक कहानी🦚🌳 *💐💐ओहदे की कीमत(दहेज में)💐💐 #प्रस्तुतकर्ता-सपनों का सौदागर......करण सिंह#/ओहदे का महत्व/दहेज प्रथा/नारी शक्ति/बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ/बेटियां/*प्रेरक कहानी* *मेहनत के फल का महत्व* 💐सपनों का सौदागर......करण सिंह💐/मेहनत के फल का महत्व/karan singh/सपनों का सौदागर/*🌳प्रेरक कहानी🦚🌳 *💐💐कलियुग-धर्म💐💐* सपनों का सौदागर.....करण सिंह/कलियुग धर्म/*प्रेरणास्पद कहानी 💐*प्रोफेसर की सीख..*💐 ✍🏻प्रस्तुतकर्ता-सपनों का सौदागर.....करण सिंह/प्रोफेसर की सीख/ 10837 0 Hindi :: हिंदी

★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★*प्रेरणास्पद कहानी
💐*प्रोफेसर की सीख..*💐
      ✍🏻प्रस्तुतकर्ता-सपनों का सौदागर.....करण सिंह
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*प्रोफ़ेसर साहब* बड़े दिनों बाद आज शाम को घर लौटते वक़्त *अपने दोस्त नवीन से मिलने उसकी दुकान पर गए।*

इतने दिनों बाद मिल रहे दोस्तों का उत्साह देखने लायक था…दोनों ने एक दुसरे को *गले लगाया और बैठ कर गप्पें मारने लगे।*

चाय-वाय पीने के कुछ देर बाद *प्रोफ़ेसर बोले, “यार एक बात बता, पहले मैं जब भी आता था तो तेरी दुकान में ग्राहकों की भीड़ लगी रहती थी और हम बड़ी मुश्किल से बात कर पाते थे। लेकिन आज बस इक्का-दुक्का ग्राहक ही दिख रहे हैं और तेरा स्टाफ भी पहले से कम हो गया है…”*

दोस्त मजाकिया लहजे में बोला, *“अरे कुछ नहीं, हम इस मार्केट के पुराने खिलाड़ी हैं…आज धंधा ढीला है…कल फिर जोर पकड़ लेगा!”*

इस पर प्रोफ़ेसर साहब कुछ गंभीर होते हुए बोले, “देख भाई, चीजों को इतना *हलके में मत ले*…मैं देख रहा हूँ कि इसी रोड पर कपड़े की तीन-चार और दुकाने खुल गयी हैं, *कम्पटीशन बहुत बढ़ गया है…और ऊपर से…”*

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💐*प्रोफेसर की सीख..*💐
      ✍🏻प्रस्तुतकर्ता-सपनों का सौदागर.....करण सिंह
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प्रोफ़ेसर साहब अपनी बात पूरी करते उससे पहले ही, दोस्त उनकी बात काटते हुए बोला, *“अरे ये दुकाने आती-जाती रहती हैं, इनसे कुछ फर्क नहीं पड़ता।”*

प्रोफ़ेसर साहब कॉलेज टाइम से ही अपने दोस्त को जानते थे और वो समझ गए कि *ऐसे समझाने पर वो उनकी बात नहीं समझेगा।*

इसके बाद उन्होंने अगले *रविवार,* बंदी के दिन; दोस्त को *चाय पे बुलाया।*

*दोस्त, तय समय पर उनके घर पहुँच गया।*

कुछ गपशप के बाद प्रोफ़ेसर साहब उसे अपने घर में बनी एक *प्राइवेट लैब में ले गए और बोले, “देख यार! आज मैं तुझे एक बड़ा ही इंटरस्टिंग एक्सपेरिमेंट दिखता हूँ..”*

प्रोफ़ेसर साहब ने एक जार में *गरम पानी लिया और उसमे एक मेंढक डाल दिया।* पानी से सम्पर्क में आते ही मेंढक *खतरा भांप गया और कूद कर बाहर भाग गया।*

इसके बाद प्रोफ़ेसर साहब ने जार से गरम पानी फेंक कर उसमे *ठंडा पानी* भर दिया, और एक बार फिर मेंढक को उसमे डाल दिया। *इस बार मेंढक आराम से उसमे तैरने लगा।*

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💐*प्रोफेसर की सीख..*💐
      ✍🏻प्रस्तुतकर्ता-सपनों का सौदागर.....करण सिंह
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तभी प्रोफ़ेसर साहब ने एक अजीब सा काम किया, उन्होंने जार उठा कर *एक गैस बर्नर पर रख दिया और बड़ी ही धीमी आंच पर पानी गरम करने लगे।*

कुछ ही देर में पानी गरम होने लगा। *मेंढक* को ये बात कुछ अजीब लगी पर उसने खुद को इस *तापमान के हिसाब से एडजस्ट कर लिया*…इस बीच बर्नर जलता रहा और पानी और भी गरम होता गया….*पर हर बार मेढक पानी के टेम्परेचर के हिसाब से खुद को एडजस्ट कर लेता और आराम से पड़ा रहता*….लेकिन उसकी भी सहने की एक क्षमता थी! जब पानी काफी गरम हो गया और खौलने को आया *तब मेंढक को अपनी जान पर मंडराते खतरे का आभास हुआ…और उसने पूरी ताकत से बाहर छलांग लगाने की कोशिश की*….पर बार-बार खुद को बदलते तापमान में ढालने में उसकी *काफी उर्जा लग चुकी थी और अब खुद को बचाने के लिए न ही उसके पास शक्ति थी और न ही समय…देखते-देखते पानी उबलने लगा और मेंढक की मौत हो गयी।*

एक्सपेरिमेंट देखने के बाद दोस्त बोला- *यार तूने तो मेंढक की जान ही ले ली…खैर, ये सब तू मुझे क्यों दिखा रहा है ?*

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      ✍🏻प्रस्तुतकर्ता-सपनों का सौदागर.....करण सिंह
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प्रोफ़ेसर बोले, “ मेंढक की जान मैंने नहीं ली…उसने खुद अपनी जान ली है। *अगर वो बिगड़ते हुए माहौल में बार-बार खुद को एडजस्ट नहीं करता बल्कि उससे बचने का कुछ उपाय सोचता तो वो आसानी से अपनी जान बचा सकता था।* और ये सब मैं तुझे इसलिए दिखा रहा हूँ क्योंकि कहीं न कहीं तू भी इस मेढक की तरह व्यवहार कर रहा है।

तेरा अच्छा-ख़ासा बिजनेस है पर *तू चेंज हो रही मार्केट कंडीशनस की तरफ ध्यान नहीं दे रहा, और बस ये सोच कर एडजस्ट करता जा रहा है कि आगे सब अपने आप ठीक हो जाएगा*…पर याद रख अगर तू आज ही हो रहे बदलाव के ऐकौर्डिंग खुद को नहीं चेंज करेगा तो *हो सकता है इस मेंढक की तरह कल को संभलने के लिए तेरे पास ना एनर्जी हो और ना ही समय!”*

प्रोफ़ेसर की सीख ने दोस्त की आँखें खोल दीं, *उसने प्रोफ़ेसर साहब को गले लगा लिया और वादा किया कि एक बार फिर वो मार्केट लीडर बन कर दिखायेगा।*

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      ✍🏻प्रस्तुतकर्ता-सपनों का सौदागर.....करण सिंह
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💐*शिक्षा:-* 💐
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दोस्तों, प्रोफ़ेसर साहब के उस दोस्त की तरह *बहुत से लोग अपने आस-पास हो रहे बदलाव की तरफ ध्यान नहीं देते।* लोग जिन *skills* के कारण नौकरी के लिए चुने जाते हैं *बस उसी पर अटके रहते हैं खुद को update नहीं करते*…और जब company में layoffs होते हैं तो उन्हें ही *सबसे पहले निकाला जाता है*…लोग जिस ढर्रे पर 10 साल पहले व्यवसाय कर रहे होते हैं *बस उसी को पकड़कर बैठे रहते हैं और देखते-देखते नए खिलाड़ी सारा बाजार कवर कर लेते हैं!*
यदि आप भी खुद को ऐसे लोगों से सम्बंधित कर पा रहे हैं *तो संभल जाइए और इस कहानी से सीख लेते हुए मजबूत बनिए* और आस-पास हो रहे बदलावों के प्रति सतर्क रहिये, *ताकि बदलाव की बड़ी से बड़ी आंधी भी आपकी जड़ों की हिला न पाएं!*

बिलकुल *सही समय* के साथ *बदलाव बहुत जरूरी है,* समय के साथ न बदलने का क्या नुकसान हो सकता है इसका सबसे *बड़ा Example आपके सामने Yahoo ही है, ये एक समय Google से भी आगे था लेकिन समय के साथ न बदलने के कारण आज उसकी दशा आप सब के सामने है।*

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