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अतिवादियों का खात्मा

virendra kumar dewangan 30 Mar 2023 आलेख देश-प्रेम Terrorisum 85981 0 Hindi :: हिंदी

नक्सलवादी हिंसा से बुरी तरह प्रभावित गढ़चिरौली-महाराष्ट्र में जिस तरह से 50 लाख के इनामी नक्सली सरगना मिलिंद तेलतुंबड़े सहित 26 अतिवादियों का महाराष्ट्र पुलिस ने सफाया किया है, वह तारीफेकाबिल है। 
वस्तुतः, यह एमएमसी यानी महाराष्ट्र, मप्र और छग के सुरक्षाबलों के संयुक्त अभियान का बेहतरीन नतीजा है कि महाराष्ट्र पुलिस को इतनी बड़ी कामयाबी मिल सकी है। 
इससे यही साबित होता है कि केंद्र व राज्य सरकारें, पुलिस और अर्द्धसैनिक बल समवेत ताकत  लगाएं, तो आंतरिक अतिवादियों का समूल नाश किया जा सकता है। 
इसी के साथ, नक्सलियों के मददगारों, उनको मानसिक खुराक देनेवालों, आर्थिक सहायकों, उनके हमदर्दियों, उनको दाना-पानी और आश्रय उपलब्ध करवानेवालों, असलहा पहुंचानेवालों को भी उनके बिलों से खोजकर निकाला जाना चाहिए। 
खास तौर पर उनको, जो अर्बन नक्सली हैं और कथित तौर पर मानवतावादी व मानवाधिकारवादी कहलाने का दंभ भरते हैं और नौसिखिए नक्सलियों को वैचारिक खाद-पानी देते रहते हैं, उनका बे्रनवाश करते रहते हैं।
इसमें उन लोगों को भी निशाने पर लेना चाहिए, जो नक्सलियों को कभी भटके हुए लोग कहते हैं, कभी क्रांतिकारी, कभी सामाजिक-आर्थिक उत्पीड़क, तो कभी बंदूकधारी गांधीवादी कहकर लोकतांत्रिक व्यवस्था व समतावादी समाज का मजाक उड़ाया करते हैं। वस्तुतः, ये अपराधियों के हमराही हैं, जो छुपे रूप से रक्तपात में लगे हुए हंै।
यहां यह भी खोजखबर की जानी चाहिए कि नक्सलियों को अत्याधुनिक हथियार व विस्फोटक मुहैया कौन करवा रहा है? वे आस्तिन के सांप कौन हैं, जो घातक हथियारों की सप्लाई कर मौत के इन सौदागरों के हमदर्द व हमपेशेवर बने हुए हैं।
यह कैसा दुर्भाग्य है कि देश एक ओर जम्मू-कश्मीर में सीमापार आतंकवाद से जूझ रहा है और आएदिन सुरक्षाबलों के वीरबांकुरों का शहादत ले रहा है, तो दूसरी ओर मणिपुर के उग्रवादी संगठन पीएलए और मणिपुर नगा पीपल्स फ्रंट के अतिवादियों द्वारा ड्यूटी से लौट रहे असम रायफल्स के कर्नल और छग निवासी विप्लव त्रिपाठी और उसके परिवार को घात लगाकर निशाना बनाया जा रहा है।
	सवाल यही कि जिन जवानों का जीवन देश की रक्षा और सीमा की सुरक्षा के लिए समर्पित होना चाहिए, उनको उग्रवादियों के द्वारा अपने निशाने पर लिया जाना हरहाल में थमना चाहिए। 
यह एक कटुसत्य ही है कि नक्सली संगठनों का उद्देश्य अब फिरौतियां लेना, धमकियां देना, दहशत फैलाना, अपहरण करना और बंदूक की नोक पर उगाही करना भर रह गया है।
	सरकारों को चाहिए कि वे हीला-हवाला छोड़े और ऐसे असामाजिक, देशविरोधी, देशद्रोही, आततायी व आतंककारी संगठनों व उनके आकाओं को मांद में घुसकर वैसा ही मारे, जैसा पाकिस्तान में घुसकर आतंकी ठिकाने को निशाना बनाया गया था। 
अमन के दुश्मनों का समूल खात्मा ही देश में खुशहाली व शांति बहाली का माध्यम हो सकता है, वरना देश सीमापर व आंतरिक आतंकवाद से लहुलूहान होता रहेगा। वीर जवानों का परिवार बेसहारा और बच्चे अनाथ होते रहेंगे।
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अनुरोध है कि लेखक के द्वारा वृहद पाकेट नावेल ‘पंचायत’ लिखा जा रहा है, जिसको गूगल क्रोम, प्ले स्टोर के माध्यम से writer.pocketnovel.com पर  ‘‘पंचायत, veerendra kumar dewangan से सर्च कर व पाकेट नावेल के चेप्टरों को प्रतिदिन पढ़कर उपन्यास का आनंद उठाया जा सकता है और लाईक, कमेंट व शेयर किया जा सकता है।

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