संदीप कुमार सिंह 19 Aug 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 8272 0 Hindi :: हिंदी
(दोहा छंद) होना यदि मशहूर है, दूर हजारों कोस। करें मेहनत दिल लगा, रहे जिन्दगी ठोस।। रक्षा कर हम प्रकृति की,पाते दिव्य सुगंध। जीवन जीना है कला,रखें बचा संबंध।। काजल से ज्यादा लगे,काला दुष्ट कलंक। बुरी बला से दूर रह, फिर भी अच्छा रंक।। एक कलम की तेज जब, बनती है तलवार। जुल्म जगत को दे जला, बिना किए संहार।। शक्ति अतुल हैं मां रखें, बड़े निशाचर मार। शान्ति जगत को हैं दिए, किए धरा गुलजार।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....