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तुम हो श्रेष्ठ-तुम ही हो इसके लिए प्रशस्त

Bholenath sharma 14 Feb 2024 कविताएँ समाजिक तुम हो श्रेष्ठ 10189 0 Hindi :: हिंदी

तुम ही हो इसके लिए प्रशस्त                   
और अन्य नहीं जग में    
  हे कौन जो तुमको                   
    रोक सके डग मैं ।                         
     तेरे पथ में ही                           
    आलस बाधा है।                                  
     तुमने नहीं जो                               
     मन को साधा है।

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