संदीप कुमार सिंह 13 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 4737 0 Hindi :: हिंदी
(दोहा छंद) मंजिल मिले तलाश से,राह नहीं आसान। रात दिवस बीते सदा, मिलते सिर्फ निशान।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....