Sudha Chaudhary 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य 88346 0 Hindi :: हिंदी
शब्दों की माला से, गूंथा हर क्षण को। जीवन ऐसा उछल पड़ा जैसे जल तरंग हो। हार जीत को माना रण का अंतिम हथियार। जीत सकेंगे वही तो, छल ना सके जिसको संसार। ढूंढ रहा था वह प्रतिक्षण, जो नहीं छुपा था मुझ में। आंखें ही उत्तर देंगे, विश्वास पूर्ण है उसमें। खोया पाया क्या मिला? दुविधा से बढ़कर। जाने कितने रंग बने, रंगों से मिलकर। झांका तुमने जब जब, हर बार वही था मन। बरसों बीत गए आशा में, नहीं मिले ये मन। सुधा चौधरी