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पुष्प की अभिलाषा-चाह नहीं मैं सुर बाला के गहनों में

Amresh kumar pathak 23 Oct 2023 कविताएँ देश-प्रेम चाह नहीं मैं सुर बाला के गहनो में गूथा जाऊं। चाह नहीं प्रेमी माला बन विनध प्यारी को ललचाउॅ। चाह नहीं सम्राटों के शव पर हे हरि डाला जाऊं। चाह नहीं देवों के सिर पर चढूॅ भाग्य पर इठलाउ। मुझे तोङ लेना वनमाली उस पथ में देना तुम फेंक। मातृ भूमि पर शीश चढाने जिस पथ जाएं वीर अनेक। 6458 0 Hindi :: हिंदी

चाह नहीं  मैं सुर बाला के गहनों में गूँथा जाऊं चाह नहीं प्रेमी माला 
बन विंध प्यारी को ललचाऊ।                            चाह नहीं सम्राटों के शव पर हे हरि डाला जाऊं    चाह नहीं देवों के सिर पर चढूॅ भाग्य पर इठलाऊ मुझे तोड़  लेना वनमाली     उस पथ पर देन

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