Ajay kumar suraj 30 Mar 2023 आलेख हास्य-व्यंग प्यार मोहब्ब, हास्य व्यंग्य, सामाजिक, कटाक्ष, 14851 0 Hindi :: हिंदी
मैं कल भी बहुत चिंतित और उदास था और आज भी! जब भी मैं हस्तिनापुर के भविष्य के लिए महाराज धृतराष्ट्र को चेतावनी दी या उन्हे भविष्य मे आने वाली कठिन समस्यायों से अवगत कराया तब तब मुझे या तो चुप करा दिया गया या फिर मुझे उस सभा से अपनानित कर निकाल दिया गया | बात जब योग्य से योग्यतम के चुनाव की हो तो योग्यतम को ही चुनना हितकर होता है|और यहाँ तो चुनाव भी एक तरफा ही हो रहा है | क्या कौरव ही योग्य है ? पांडवो को छल से अज्ञातवास ! देकर कपटी और अहंकारी दुर्योधन को राजकुमार बनाकर जनता को न्याय दिया जा सकता है ? कैसे विश्वास कर लूँ इस चुनाव मे आने वाला माननीय क्षेत्र के ही विकास के लिए लड़ रहा है , कैसे वह निष्पक्ष रूप से क्षेत्र के हर नागरिक के साथ वही रवैया अपनाएगा चाहे उसे वोट मिला हो या नही | हर कोई तो धर्मराज युधिष्ठिर नही हो सकता | वह समान न्याय करे आज कल के माननीयों ने जहां मुर्गा दारू पैसा साम दाम भेद की नीतियो के द्वारा इस पद को पाने की लालसा मे है वो क्या न्याय करेंगे ? तमाम दैनिक अखबारो मे हर माह निकल रहा है चुनावी रंजिश मे हुआ खून खराबा | और माननीय का पद पाने के बाद तो व्यक्ति द्रुयोधन और दुःशासन बन जाते है | फिर न धृतराष्ट्र की चलती है न भीष्म की न विदुर की और सारा का सारा क्षेत्र नेत्र के होते हुये भी अंधा हो जाता है |पाँच सालो तक लूट घासोट मचती है जनता का पैसा जो जनता के लिए आता है वह भ्रष्ट माननीय , वीडियो ,सेक्रेटरी ,प्रधान , ठेकेदार और कई लोगो मे बंदरबाट से ही समाप्त हो जाता है | और जब भी विदुर इस बात को उठाता है तो या उसे अपमानित कर बाहर कर दिया जाता है या उससे सब कुछ छीन लिया जाता है | फिर दुरुयोधन अपने खास आततायी चाटुकारों को लेकर भोग विलास मे मस्त हो जाता है | रोता है तो हस्तिनापुर योगयतम चुनाव न कर पाने वाली जनता और विदुर _______ हे हस्तिनापुर मैं कल भी विवस था और आज भी राजनीति के चौसर पर गोटियो की भरमार ने तुम्हें छल से यूं ही खरीद लिया | क्योकि यह दांव तुम ने ही तो खेला था | दुखी तो मैं हूँ हे विधनसभा जो मौन की डोरियों से बंधा हुआ न्याय और अन्याय के बीच होता हुआ यह निर्णायक खेल देखता रहा और कुछ न कर सका | (क ख ग) विधानसभा (एक उदाहरण है ऐसा लगभग हर विधानसभा का हाल है ) -: --- जिस चुनाव के बाद अयोग्य प्रतिनिधि मिलने से मेरा विकास रुक गया हसता खेलता और खुशहाल क्षेत्र वैर नफरत की बेड़ियो मे उलझ गया | चारो ओर से अपने वैभव और संपदा से लूट गया उसे तुम खेल कहते हो -- विदुर "क्या तुम्हारी छाती के विशाल हृदय मे नीति का एक ग्रंथ है ? क्या तुम एक उल्टी गागर हो जिस पर मेरे आँसू टिक नही पा रहे" ? विदुर :- आपने जो बोया था वह ब्याज समेत मिला पर मेरी विवशता तो उस माँ की भांति हो गई है की पुत्र को पैदा होने पर पाला और बड़े होने पर भी क्योकि उसकी विकलांगता शारीरिक और मानसिक रूप मे विस्तृत हो गई है और माँ रूपी कर्तव्य ने मुझे विवश कर रखा है | (क ख ग ) विधानसभा :--- हाँ हाँ मेरी आंखो के ही सामने हुआ है अपराध | पर मै क्या करता मै विवश था अपने ही स्ंतानो द्वारा एक तरफ दुर्योधन है तो एक तरफ मेरे ही दूसरे प्रिय युधिष्ठिर क्या कर्ता मै किसको दंडित करता | विदुर :--- क्या महाराज पितामह भीष्म की सिंचित धरती को आपने तो उजड़ा रेगिस्तान बना दिया , याद कीजिये उस गौरव गाथा को जब एक आवाज यही धरती पूरे भारत मे शिरोमणि हो गई |यहा के किसान आंदोलन ने अंग्रेज़ो की नीद हराम कर दी | यहाँ की जनता कंधे से कंधा मिलकर चलने वाली थी और आपने अपने पुत्र मोह (जातिवाद, तानाशाही भय, झूठे मुकदमे ) मे यहाँ नफरत के बीज बो दिये | स्वार्थ और अधिकार के ,बीच रखी तलवार| काट फेकती है किसे, देंखे उसकी धार || धृतराष्ट्र :- विदुर तुम्हारे आवाज मे कड़ुआहट है असमानता है | विदुर :- महाराज राजतंत्र तो अब जीर्ण हो चुका अब तो लोकतन्त्र की अगुआई है | अब हस्तीनापुर की जनता निर्णय करेगी अगला युवराज कौन होगा ? अब इसका पता भी 10 मार्च तक लोकतन्त्र के महाभारत युद्ध के समाप्त होने के बाद चल ही जाएगा | दुख दो इस बात का रहेगा हमने कर्ण, अभिमन्यु ,विदुर सात्विकी , जैसे न जाने कितने प्रतिभाशाली महारथी खो दिये ,जिनहे मौका ,मिला होता तो ये राष्ट्र निर्माण मे अहम योगदान देते || विजय हुई फिर न्याय की ,हटा मोह का पाश | सत्यमेव जयते बना, अंतिम सत्य प्रकाश ||