संदीप कुमार सिंह 02 May 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाजिक हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 5469 0 Hindi :: हिंदी
दोस्त तेरे लिए, कुछ भी कर जाऊं। दोस्त तेरे लिए, चांद भी लाऊं और तारें भी लाऊं। दोस्त तेरे लिए, गम कोई भी सहुं। दोस्त तेरे लिए, सारे जहां को त्याग दूं। मगर दोस्त, तूं यूं ही फूलों सा खिलता रहे, तूं यूं ही फूलों सा निखरता रहे। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा) बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....