Ajeet 30 Mar 2023 कविताएँ दुःखद 14286 0 Hindi :: हिंदी
रह गई बंद अंधेरो मे न मिला रोशनी का चिराग कोई/ बुझ गई थी ढिभरी उसकी क्यो न आया जलाने कोई, उदास था मन जिसका वह थी बूढ़ी चन्दा, रह गई बंद अंधेरो मे न मिला रोशनी का चिराग कोई/ फेल गई वसुधा पर बूदों मे घुलकर गीली रात, घूम रही थी आँधी ऐसी जिसने बुझाया चन्दा की ढिभरी को, रह गई बंद अंधेरो मे न मिला रोशनी का चिराग कोई/ बुझी ढिभरी को देख हो गया मन उदास, उठकर लगी ढूंडने अंधेरों में ठोकर लग के टूट गई चन्दा की ढिभरी, रह गई बंद अंधेरो मे न मिला रोशनी का चिराग कोई/ लेखक -अजीत