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गीता बनता नहीं, बन जाता हैं!

Ashok prihar 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य Google/yahoo/bing 115340 0 Hindi :: हिंदी

गीत बनता नहीं, बन जाता है!
लोगों के हृदय तक पहुंच जाता है!!
गीत गाया नहीं,लयता में ढल जाता हैं!
कभी-कभी करुणा में बह जाता है!!
तो कभी वीरता की प्रसन्नता में लय लाता हैं!
अपनें भावों से हर दिल तक पहुंचा जाता हैं!!
गीत बनता नही बन जाता हैं!
लोगों के हृदय तक पहुंच जाता है!!
सुख-दुख की भावनाओं को बताता है!
तो कभी स्नेहता मे बन जाता है!!
यह गीत हर बात को कह जाता हैं!
मन को भा जाता हैं!!
गीत बनता नहीं, बन जाता है!
लोगों के हृदय तक पहुंच जाता है!!
वह कवि नहीं जो गीत बनाते हैं!
वह तो लय,ताल के पूजारी हैं, जो काव्य के रूप में प्रेम मे बह जाते हैं!!
सुख-दुख को  आभास कराते हैं!
मन को शांती पहुंचाते है!!
काव्य लिखने में न लगता समय है!
भाव पत्र पर उभर आता है!!
गीत बनता नहीं, बन जाता हैं!
लोगों के हृदय तक पहुंच जाता है!!

काव्या रचयता:- अशोक परिहार

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