Raj Ashok 10 Oct 2023 शायरी समाजिक औकात 9486 0 Hindi :: हिंदी
कमब्त, खामोश सा बैठा था। दिल एक जगहाँ के, मन को अचानक एक दंगाबाज की याद आ गई। वो सात जन्म का वादा कर के पहली दफा ही अपनी औकात दिखा गई ।
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Jai jai ho...