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"मंजिल"

Aarti Goswami 05 Feb 2024 कविताएँ अन्य मंजिल पर कविता 894 0 Hindi :: हिंदी

"मंजिल"
यूं ही नहीं मिल जाती मंजिल 
ए मुसाफ़िर 
रास्तों से वाक़िफ होना पड़ता हैं 
नींद चैन सब खोकर
किताबों को हमसफ़र बनना पड़ता हैं 
मुश्किलो भरी राहों पे 
हर दिन भटकना पड़ता हैं 
यूं ही नहीं मिल जाती मंजिल 
हर दिन परिश्रम करना पढ़ता हैं।
            ~'आरती गोस्वामी'✍️

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