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सावन जल बरसे अभी-चमक रही है दूब

संदीप कुमार सिंह 08 Jul 2023 कविताएँ अन्य मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 5968 1 5 Hindi :: हिंदी

(मुक्तक छंद)
सावन जल बरसे अभी, चमक रही है दूब।
हरी चुनरिया ओढ़कर,धरती लगती खूब।
काले बादल मस्त है,वसुंधरा है मग्न_
जो देती है अति खुशी,चाह सभी मंसूब।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍️
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार

Comments & Reviews

Rohit
Rohit बहुत सुंदर

8 months ago

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