Chainsingh saheriya 30 Mar 2023 कविताएँ देश-प्रेम देश प्रेम 38496 0 Hindi :: हिंदी
आज चलती हैं साँसे, उन्ही के लिए ! मिट गये जो हस्तें हुए, सरजमी के लिए!! सर हिमालय का जिन्होंने ना झुकने दिया! आज सौ सौ नमन है, उन्हें के लिए!! इस वतन के मुहफ़िज थे वो दीवाने! मुल्क की आँखों के, मोहताज थे परवाने!! बरजबानी में उनकी ये जशने सहर! ये शिरकत, ये महफिल उन्ही के लिए!! अपने स्वारथ भरे मन से ओ साहब! ना देना वीरों की, कुर्बानियां!! मोहब्बत की किल्लत हो चाहे महबूब को! दिल धड़क ता रहे, इस वतन के लिए!!