Sudha Chaudhary 05 Jun 2023 कविताएँ अन्य 7297 0 Hindi :: हिंदी
उन्मुक्त हदय से कहना है, उन्मुक्त गगन में रहना है। बैठा पुंज प्रतापी वह, उसके सारे में रहना है। हंसता है जीवन सुनकर, अपने ही मधुर मिलन पर। झूठी आशाओं के सम्मुख, रहता है बस बातें सुनकर। स्वीकृति दी बस आज कौन यह कहता है। मेरी आशा झूठी मौन तुम्हारा सहता है। बाधाएं साथ खड़ी जीवन का पाठ पढ़ाती है। कभी कही जो संयम टूटा, भाव रहित हो जाती है। सुधा चौधरी बस्ती