Maushami 03 Aug 2023 कविताएँ देश-प्रेम भारत # प्रकृति #अनेकता #एकता 16165 1 5 Hindi :: हिंदी
भारत मेरी जन्मभूमि हमारी कर्मभूमि, जिसके कण कण में बसा है इतिहास, इसका हर पल है खास। गंगा, यमुना, कृष्णा, कावेरी की धार, कश्मीर से कन्याकुमारी का सार, नर्मदा से ब्रह्मपुत्र भी इसे देता एक विशिष्ट आकार। इसकी भोर में गूंजती मंदिर की घंटियां, मधुर सुबह में सजाती शिवालयों की आरतियां, शामों में सजती कुरान की आयत। कहीं नदी , कहीं पहाड़ तो कहीं जल है, कहीं मैदान, कहीं झील तो कहीं रेत तरल है, ये भारत है, हमारी मातृभूमि दिन, दोपहर और षट ऋतुओं से सजी, षट ऋतुओं से सजी ।
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