Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत सखा 13132 0 Hindi :: हिंदी
मैं क्या कहु किस से कहु क्यों कहु किस लिए कहु बो मुझे भूल गए सदा के लिए अब तो यादों में भी न रहे बात और जज्बातों में भी न रहे बो मुझे छोड़ गए हमेशा के लिए कभी हम साथ साथ थे बिल्कुल पास पास थे धड़कने साथ धड़कती थी घंटों बात होती थी मीठी ऐहसास होती थी बातों बातों में बात होती थी कल्पनाओं में उडान होती थी जब बो होती थी तब होती थी अब सब बदल गया बो है पर बो बात नहीं बात तो होती है पर बो बात नहीं बो आज भी हैं पर मेरे करीब नहीं बैसे तो अब भी बही वादे कसमे होठों पे प्यास आँखों में खाव आज भी उनकी बदन के ख़ुश्बू मुझे सराबोर करती है सायद अभी कुछ भूख बाकि है तभी तो मेरे खावों में अब भी रोज़ अति है