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रिश्ते

Poonam Mishra 30 Mar 2023 आलेख समाजिक नए रिश्तो को बनाने से अब डर लगता है 94307 0 Hindi :: हिंदी

अब नए लोगों को जिंदगी में जोड़ने से डर लगता है 
किसी को बहुत ही करीब का कहने से डर लगता है
 बहुत समय लगता है किसी
 रिश्ते को दिल से जीने में
 परंतु उस रिश्ते को टूटने में पल भर भी नहीं लगता है 
जिन रिश्तो को हम बरसों से सहेजें रखते हैं
 अपने दिल में अपने जीवन में
 हम एक दूसरे से विश्वास की डोर में बंधे रहते हैं
 परंतु कभी-कभी अचानक कुछ आपस की गलतफहमी के चलते इन रिश्तो में दरार आ जाती है 

  रिश्तो के बीच में एक गांठ पड़ जाती है 
जो दोस्ती में पुनः परिवर्तित होने के बाद भी वह गांठ पड़ी ही रहती है 
मुझे अब डर लगता है कोई भी नया रिश्ता बनाने से क्योंकि फिर से मैं उन रिश्तो में गांठ डालना नहीं चाहती हूं
 मैं किसी के द्वारा अपने आप को नजरअंदाज होते नहीं देखना चाहती हूं 
इसीलिए शायद यह दिल बार-बार कहता है कि मुझे  रिश्तो को नहीं बनाना है ना किसी नए संबंधों से जुड़ना है 


धन्यवाद 


स्वरचित लेखिका पूनम मिश्रा

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