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प्यार की आग- जल रही है हृदय में

संदीप कुमार सिंह 09 Jun 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर लोग काफी लाभान्वित होंगें। 8063 2 5 Hindi :: हिंदी

प्यार की आग जल रही है हृदय में,
इसी आग को मैं बांटा करता हूं।

मेरा भी इरादा है फूंकने का,
लेकिन लोग जलेंगे नहीं खिलेंगे।

चाहता हूं नफरत को मिटा दूं मैं,
खुशियाँ भर दूं नव्य हर परिवार में।

एक_दूसरे के लिए नजीर बनूं,
मिलकर विकार का पूर्ण अन्त कर दूं।

फूल की खुशबू में सब रहे झिलमिल,
आँखों में हो दिव्य निर्मल सादगी।

शिकवा_शिकायत का मौका  मत मिले,
व्यस्त रहने के साथ दृढ़ बन रहिए।

तमन्ना मेरी खूब मचल रही है,
हर जिया में यह जगह ढूंढ रही है।

जहां सिर्फ प्यार की भव्य दुनिया हो,
 रग_रग में अनुपम जोश ही जोश हो।

संगीत के सुर में सारे कार्य हो,
नित्य प्रगति का हां निष्पक्ष जांच हो।

प्यार की आग जल रही है हृदय में,
इसी आग को मैं बांटा करता हूं।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍️
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार

Comments & Reviews

संदीप कुमार सिंह
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10 months ago

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