Rupesh Singh Lostom 14 Jul 2023 शायरी प्यार-महोब्बत पता नहीं 5339 0 Hindi :: हिंदी
वो रूठा हैं मुझ से और खफा भी हैं पर किस बात से गुस्स हैं पता नहीं कहता हैं मैं दोस्त हूँ तू मेरे दिल में रहता हैं पर मालूम नहीं क्यों वो नाराज हैं पता नहीं मैं मना लेता उसे अगर मुझे जताना आता पर क्या दे मनाऊ उसे कैसे मानेगी पता नहीं वैसे तो मैं उससे रोज़ रोज़ रोज़ मिलता हूँ खाव में खाव बनके पर पता नहीं आँख खुलते ही वो होती नहीं आज जब मिलूंगा उससे तो जाने तो नहीं दूंगा पर कैसे रोकू पता नहीं