लघुकथाःः
यकीनःः
जब कोरोना वायरस का प्रकोप बढ़ने लगा, तब लाकडाउन की घोषणा आननफानन में कर दी गई। सब भौंचक्के रह गए। जो जहां था, वहीं थम गया। प्रमिला का पति दूर शहर काम की तलाश में गया हुआ था, वह भी यातायात के साधन के अभाव में वहीं ठहर गया।
रेल, बस व वायुयान सहित सारी सेवाएं व दुकानदारी बंद हो गई। किराना, दूध, फल व सब्जी मिलना भी दुश्वार हो गया। किराना माह में एक बार खरीदकर दूध व फल के बिना जीवन तो चलाया जा सकता है, लेकिन सब्जी के बिना खाना कैसे खा जा सकता है? सो, कालोनीवासी हरी व ताजी सब्जी के लिए तरसने लगे।
एक दिन प्रातः एक युवक सब्जी का बड़ा थैला सायकिल पर लटकाए कालोनी के गेट के पास खड़ा हो गया और जोर से चिल्लाया,‘‘सब्जी, हरी सब्जी, ताजी सब्जी ले लो।’’
‘सब्जी’ की आवाज से कालोनी की महिलाओं की खुशी का ठिकाना नहीं रहा, जैसे कोई फरिश्ता सब्जी लेकर आ गया हो। सबको हरी व ताजी सब्जी की दरकार थी, इसलिए सब फ्लेट छोड़कर नीचे दौड़ लगाने लगीं।
तभी प्रमिला अपने फ्लेट से ही आवाज दी,‘‘ऐ सब्जीवाले, तू कहां से यहां टपक पड़ा। यहां तो बगैर सेनिटाइजेशन के कोई सामान खरीदना खतरे से खाली नहीं है। सुना है वायरस सब्जी के माध्यम से भी घर में घुस सकता है।’’
‘‘हां माई! आप ठीक कह रही हैं, लेकिन मैं सब्जी को गरम पानी में धोकर ला रहा हूं, ताकि आप सब सुरक्षित रहें।’’ सब्जीवाले युवक ने मुखौटे को मुंह के नीचे सरकाते हुए यकीन से जवाब दिया।
‘‘कैसे भरोसा करें, तुझपर कि तू सच बोल रहा है।’’ प्रमिला प्रश्न की।
‘‘मैं जहां भी जा रहा हूं, विश्वास से सब्जी ले रहे हैं सब। आप भी यकीन कर सकते हैं। विश्वास से दुनिया कायम है माते!’’
‘‘अरे! कैसे विश्वास कर लें किसी अजनबी पर?’’ प्रमिला प्रतिप्रश्न की।
‘‘अविश्वास का कोई कारण नहीं माता! 130 करोड़ के देश में विश्वास ही है, जो कोरोना को मात देगा। परस्पर शंका और संदेह हमें हरा देगा। इसलिए, भरोसा रखें। आपका भरोसा नहीं टूटेगा मेमसाहब!…और फिर मैं सबको अपना पता-ठिकाना व संपर्क नंबर दे रहा हूं। कहीं कोई गफलत हुई, तो पुलिस में शिकायत की जा सकती है।’’
…और देखते-देखते ही उसकी सारी सब्जियां कालोनीवासियों ने खरीद ली। उसका पता एवं फोन नंबर नोट कर लिया। फिर चार-छह दिन के अंतराल में वही युवक मोहल्ले में निरंतर सब्जियों की पूर्ति करने लगा, जो आज भी बदस्तूर जारी है। इसे कालोनी का सौभाग्य ही कहें कि मोहल्ले में एक भी कोरोना संक्रमित नहीं मिला।
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विशेष टीपःः वीरेंद्र देवांगन की ई-रचनाओं का अध्ययन करने के लिए google crome से जाकर amazon.com/virendra Dewangan में देखा जा सकता है।