Lalit Kumar Yadav 30 Mar 2023 ग़ज़ल प्यार-महोब्बत 85731 0 Hindi :: हिंदी
रात अंधेरी है, कोहरा घना है। हर शक्सियत यहां, डरा डरा है। तेरे तवज़ुम सा, करार छा गया । लो मैं ,हुबहुँ आ गया। कैसी तल्खियाँ ये कैसी अदा है। हर शख़्स यहां जुदा जुदा है। मोहब्बते इज़हार सदाए बोलती हैं। तुम न बोलो तुम्हारी अदाए बोलती हैं।। ....... ललित