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मन के धागे

Chetna 30 Mar 2023 कहानियाँ अन्य 65700 0 Hindi :: हिंदी

रोका था मन के धागों को
बड़ी सहजता से उलझने से
एक विश्वास ही था साथ मेरे
खुदके हौसलों को परखने से
पंखों को समेटकर रक्खा था
हमने हर उड़ान से पहले
यें आसमां भी अपना हैं
और हौसलों भी अपने
मन को स्वतंत्र और ऊंची उड़ाने भरने दो

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