Shiwani vishwakarma 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य काशी बनारस वाराणसी 86465 0 Hindi :: हिंदी
"मुझे बनारस से नहीं, वो पान वाली गलियों से जानो, मुझे सुबह के सूर्य अर्ध्य के साथ उगती किरणों से जानो, मुझे बनारस से नहीं, मुझे दशाश्वमेध व मणिकर्णिका घाट के जीवन मृत्यु के फासलों से जानो, मुझे काशी, कशिक, अविमुक्त,आनंदवन व रूद्र वास के नामों से नहीं, अस्सी घाट की स्वर्णिम सीढ़ियों से जानो, मुझे बनारस से नहीं, मुझे जानना है तो गोदौलियाँ की भांग, रथयात्रा की ठंडई से जानो, मुझे बनारस से नहीं, सिगरा चौराहे की चाय व प्रेम की भाषा बनारसी गाली से जानो, मुझे बनारस से नहीं, मुझे उन संकीर्ण गलियों में भोजपुरी भाषा से जानो, मुझे बनारस से नहीं, बनारस की जाम से जानो।" Sivi_vish