Sudha Chaudhary 13 Jul 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत 10343 0 Hindi :: हिंदी
हार हृदय की वही कहानी तुम ही तो कह जाते हो। साथ साथ मेरे आकर मुझको ही छल जाते हो। वही वेदना फिर उठ कर जीवन राग सुनाती है दिखा छलावा रूप मन को अभिलाषा मय कर जाते हो। मुझ में है क्या ढूंढ रहे हो कुछ बचे हुए अवशेष तुम्हारे नहीं , प्राणधन ज्ञात नहीं है मुझे तुम्हारा वह विह्वल रुप कितने हर्ष से, एक सांस में मेरी सृष्टि कह जाते हो। मेरा परिरम्भ तुम्हें निश्चल कर देगा ऐसा भ्रम था दृष्टि तुम्हें देती क्या तुममें इतना तम था अनुराग जड़ित मन की सीमा पर असंख्य लालिमा भर जाते हो। सुधा चौधरी बस्ती